दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी और स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (NCB) के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े के पदोन्नति से संबंधित संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिफारिश का पता लगाए और यदि ऐसी सिफारिश की गई हो, तो उन्हें पदोन्नत किया जाए.

न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति मधु जैन की पीठ ने कहा कि वानखेड़े की ओर से किसी भी तरह के दोष को स्वीकार नहीं किया गया है, जबकि उनके खिलाफ केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच अब भी लंबित है.

1 जनवरी 2021 से अतिरिक्त आयुक्त पद पर पदोन्नत करने का निर्देश

पीठ ने यह आदेश केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के दिसंबर 2024 के उस आदेश को बरकरार रखते हुए पारित किया, जिसमें सरकार को वानखेड़े की पदोन्नति से संबंधित सीलबंद लिफाफा खोलने और यदि UPSC ने उनके नाम की सिफारिश की हो, तो उन्हें 1 जनवरी 2021 से अतिरिक्त आयुक्त पद पर पदोन्नत करने का निर्देश दिया गया था.

सरकार ने हाई कोर्ट का रुख करते हुए कहा था कि वानखेड़े का मामला उनके खिलाफ दर्ज मामलों के कारण सीलबंद लिफाफे में रखा गया है. हालांकि, पीठ ने कहा कि वर्तमान में प्रतिवादी (वानखेड़े) के खिलाफ ऐसा कोई विभागीय मामला लंबित नहीं है जिसमें उनके खिलाफ कोई आरोपपत्र जारी किया गया हो.

वानखेड़े पर न निलंबन न आरोपपत्र दाखिल

पीठ ने यह भी कहा कि वानखेड़े को न तो निलंबित किया गया है और न ही उनके खिलाफ किसी आपराधिक मामले में आरोपपत्र दाखिल किया गया है. सरकार ने कैट के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि वानखेड़े के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जिनके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थीं.

उन्होंने कहा कि पहले एक अवसर पर CBC ने भी उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की सलाह दी थी. वानखेड़े 2008 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अधिकारी हैं.

शाहरुख खान के बेटे को फंसाने के आरोपों से आए थे सुर्खियों में

साल 2021 में NCB मुंबई में तैनाती के दौरान क्रूज ड्रग्स मामले में अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को फंसाने की धमकी देकर उनके परिवार से कथित रूप से 25 करोड़ रुपये मांगने के आरोपों के चलते चर्चा में आए थे.