Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने पहला पायलट हाइब्रिड कोर्ट रूम शुरू किया है जिसमें 'स्पीच टू टेक्स्ट' की सुविधा है. इसका उद्घाटन चीफ जस्टिस मनमोहन (Justic Manmohan), जस्टिस सुरेश कुमार कैत, जस्टि राजीव शखदर ने किया. उद्घाटन के बाद जस्टिस राजीव शखधर ने कहा कि जो काम पहले जज मैन्युअल रूप से करते थे वह काम अब मशीन करेगा. यह मशीन एक वरदान है.

जस्टिस राजीव शखधर ने मीडिया से बातचीत में कहा, ''न्यायाधीश पीड़ित द्वारा दिए गए सबूतों को अपने शब्दों में बदलते थे. अब, गवाह अपनी भाषा में बात करेगा" और यह न्यायाधीश के लिए उपलब्ध होगा. यह मशीन एक वरदान है. AI दक्षता में सुधार करेगा, समयसीमा कम करेगा और अधिक मामलों का निपटारा किया जाएगा.''

लोगों को जल्द न्याय दिलाना उद्देश्य- उत्कर्ष श्रीवास्तवअदालत एआई ऐप के सह-संस्थापक उत्कर्ष श्रीवास्तव ने कहा, ''यह ऐप कोर्ट के बैकलॉग को घटाने के लिए तैयार किया गया है और समय से न्याय मिले, इसके लिए इस टेक्नोलॉजी को पेश किया गया है. दो तरह के कोर्ट होते हैं एक जहां स्टेनोग्राफर हैं लेकिन रियल टाइम में टाइप करना मुश्किल होता है. जहां स्टेनोग्राफर है उनके लिए यह उनका साथी बनेगा. और जहां नहीं हैं जहां जज खुद हाथ से लिखते हैं. यह उनका साथ देगा. उनका को-पायलट बनेगा.''

उत्कर्ष श्रीवास्तव ने इसलिए बनाया ऐपउत्कर्ष ने बताया, '' मैं भी एक वकील हूं और 2012 से वकालत कर रहा हूं. हमारे जो जज और कोर्ट स्टाफ, वे किन हालातों में काम करते हैं. मुझे पता है. बहुत मुश्किल हालात में काम करते हैं. टेक्नोलॉजी की कमी है और स्टाफ की कमी है. देश के छोटे कोर्ट में देखें तो वहां स्टेनोग्राफर ही नहीं हैं तो जज खुद अपने हाथ से लिखते हैं. क्रॉस एग्जामिनेशन और जजमेंट हाथ से होता है. इतना समय नहीं मिलता कि असली न्यायिक टास्क पर ध्यान दिया जा सके. मैंने सोचा कि किस तरह टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो सके और मैन्युअल टास्क जल्दी से हो सके.''

ये भी पढ़ें - Arvind Kejiwal News: अरविंद केजरीवाल के हेल्थ को लेकर LG के पत्र पर संजय सिंह की प्रतिक्रिया, 'ईश्वर न करे कभी आप...'