दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण और कमर्शियल गतिविधियों के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया है. इस मामले में याचिकाकर्ता ने बिना उचित समय दिए ही इस मामले काे अदालत में ला दिया.

इस बीच चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ जमीन पर अवैध बैंक्वेट हॉल, कैफे, स्क्रैपयार्ड, कार वॉश सेंटर आदि चल रहे हैं. याचिका में इन पर कार्रवाई करने और अवैध प्रतिष्ठानों की बिजली काटने की मांग भी की गई थी.

कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?

इस मामले में अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा की याचिकाकर्ता ने 23 जुलाई को एमसीडी को शिकायत दी और 2 अगस्त को कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया. इतनी जल्दबाजी उनकी नियत पर सवाल उठाती है. जब एक बार शिकायत दर्ज कर दी तो उचित समय एजेंसी को देना चाहिए था.

इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के अधिकार क्षेत्र को इतना हल्के में न लें, क्या हम पोस्ट ऑफिस है ? आप 23 जुलाई को शिकायत करते हैं और अगस्त में याचिका लेकर आ जाते हैं अभी एक महीना भी नहीं बीता.

इसके बाद बिजली कनेक्शन के मुद्दे पर भी कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले अधिकारियों से संपर्क तक नहीं किया.

अदालत ने याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

इस पर अदालत ने याचिका को ना सुनने का फैसला किया और याचिकाकर्ता को याचिका इसलिए वापस लेने की अनुमति दे दी, ताकि वह पहले संबंधित अधिकारियों के पास जाएं. इस पर कोर्ट ने यह भी साफ किया कि यदि वह अधिकारियों के पास जाते हैं तो उनकी शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी.

फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया.