दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला की शिकायत पर दर्ज दहेज उत्पीड़न और आपराधिक विश्वासघात की एफआईआर को रद्द कर दिया है. यह मामला उस महिला के पति की आत्महत्या से जुड़ा था, जिसने शादी के महज 40 दिन बाद फांसी लगाकर जीवन समाप्त कर लिया था.

Continues below advertisement

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि शिकायत में लगाए गए आरोप न तो स्पष्ट हैं और न ही किसी ठोस सबूत था. न्यायालय ने इसे कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करार मामले को खारिज कर दिया.

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के अनुसार, यह पूरा मामला साल 2016 का है. महिला ने अपने पति की आत्महत्या के बाद ससुराल पक्ष यानी पति के माता-पिता और बहन के खिलाफ दहेज प्रताड़ना, मानसिक उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था. महिला का दावा था कि ससुराल पक्ष ने उसे शादी के दौरान प्रताड़ित किया. वहीं, ससुराल पक्ष ने अदालत में याचिका दायर कर एफआईआर को निराधार बताते हुए रद्द करने की मांग की थी.

Continues below advertisement

कोर्ट ने खारिज किया मामला

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि केस में कोई ठोस सबूत नहीं है जो यह साबित करें कि ससुराल पक्ष ने महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित किया. जस्टिस कृष्णा ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला बेबुनियाद आरोपों और अधिकार के दुरुपयोग का उदाहरण है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्याय के हित में ऐसी कार्यवाहियों को जारी रखना उचित नहीं होगा.

शादी के बाद शुरू हुआ व्यक्तिगत विवाद

कोर्ट ने यह भी बताया कि जांच के दौरान सामने आया कि मृतक की शादी से पहले किसी अन्य लड़की से दोस्ती थी और वह इस विवाह से खुश नहीं था. शादी के दौरान मतभेद बढ़ने और मानसिक तनाव के कारण युवक ने खुदकुशी कर ली. ससुराल पक्ष का कहना था कि महिला और उसके परिवार ने युवक पर दबाव डाला और धमकाया कि अगर वह उनके साथ नहीं रहेगा, तो पूरे परिवार को झूठे मामलों में फंसा दिया जाएगा.

कोर्ट ने रद्द की एफआईआर

इन परिस्थितियों को देखते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी. न्यायालय ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण मामला है, जहां शादी केवल 40 दिन चली और फिर व्यक्तिगत मतभेद और आरोपों के चलते मामला मुकदमों में बदल गया. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना ठोस सबूत किसी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग माना जाएगा.