दिल्ली हाई कोर्ट की अवकाश पीठ ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा कुतुब मीनार परिसर की मस्जिद में कथित रूप से नमाज बंद करने को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने भी पिछले सप्ताह शुक्रवार को मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था. अब न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सोमवार को इस मामले को अस्वीकार करते हुए कहा इसकी कोई तत्काल आवश्यकता नहीं है.

मस्जिद की प्रबंधन समिति का प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट एम सूफियान सिद्दीकी ने याचिका में जिक्र किया मस्जिद में नियमित रूप से नमाज अदा की जाती थी. हालांकि एएसआई के अधिकारियों ने बिल्कुल गैरकानूनी, मनमाने और जल्दबाजी करते हुए 13 मई 2022 से बिना किसी नोटिस या आदेश के बिना नमाज अदा करने पर रोक लगा दी है. सिद्दीकी ने कहा कि उपासकों के मौलिक अधिकारों का लगातार उल्लंघन किया जाता है. मुगल मस्जिद कुतुब परिसर के प्रवेश द्वार पर स्थित है और पास के कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद से अलग है. 

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 दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने भी लिखा पत्र

बता दें कि एएसआई ने मस्जिद में नमाज को तब से रुकवाया जब से कुतुब मीनार परिसर में हिंदू और जैन देवताओं की मूर्तियों की पुन: स्थापना करने की मांग की गई. इस पर एएसआई ने साफ शब्दों में कहा कि यह पूजा का स्थान नहीं है और स्मारक के मौजूदा दर्जे को बदला नहीं जा सकता है. वहीं दिल्ली वक्फ बोर्ड ने दावा किया है कि कुतुब मीनार परिसर की मस्जिद में नमाज पहले से होती रही है. इस मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने भी एएसआई के महानिदेशक को पत्र लिखकर अनुरोध किया था.

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