दिल्ली हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार देने के साकेत कोर्ट के फैसले के खिलाफ मेधा पाटकर की याचिका पर हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है. हाई कोर्ट के द्वारा साकेत कोर्ट के फ़ैसले में किसी भी प्रकार की कमी नहीं पाई गई. 2 अप्रैल को साकेत कोर्ट के सेशंस अदालत ने मेधा पाटकर की सजा को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था.

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मेधा पाटकर ने सेशंस कोर्ट के फैसले को दी थी चुनोती 

दिल्ली हाई कोर्ट में साकेत कोर्ट के आदेश को मेधा पाटकर ने चुनौती दी है. दरअसल साकेत कोर्ट के जुडिशियल मजिस्ट्रेट ने 1 जुलाई 2024 को मेधा पाटकर को सजा सुनाई थी. जुडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अधिकतम सजा दो साल की होती है लेकिन मेधा पाटकर के स्वास्थ्य को देखते हुए पांच महीने की सजा दी जाती है.

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मेधा पाटकर को दिया था दोषी करार

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मेधा पाटकर को आईपीसी की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ये साफ हो गया है कि आरोपी मेधा पाटकर ने सिर्फ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ गलत जानकारी के साथ आरोप लगाए.

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क्या है पूरा विवाद ? 

  • मेधा पाटकर ने 25 नवंबर 2000 को अंग्रेजी में एक बयान जारी कर वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था.  
  • पाटकर ने कहा था वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे. 
  • ऐसा बयान वीके सक्सेना की ईमानदारी पर सीधा-सीधा हमला था. 
  • मेधा पाटकर ने कोर्ट में दर्ज अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना साल 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं. 
  • पर्यावरणविद् पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना ने 2002 में उन पर शारीरिक हमला भी किया था जिसके बाद मेधा ने अहमदाबाद में एफआईआर दर्ज कराया था. 
  • पाटकर ने कोर्ट में कहा था कि वीके सक्सेना कॉर्पोरेट हितों के लिए काम कर रहे थे और वे सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों की मांग के खिलाफ थे.

साल 2001 में वीके सक्सेना ने दायर किया था केस

मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था. गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था. जिसके बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. 

मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही. वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे.