Delhi News:  दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने यह याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया था कि आबकारी नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में ईडी द्वारा सीएम केजरीवाल की हालिया गिरफ्तारी के बाद पैदा हुई स्थिति संविधान के अनुसार सही नहीं है.


सीएम केजरीवाल को 31 मार्च को गिरफ्तार किया गया था. वह  1 अप्रैल तक ईडी की कस्टडी में थे. इसके बाद उन्हें 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. फिलहाल वह तिहाड़ जेल में बंद हैं. उधर, हाईकोर्ट ने गुरुवार को व्यक्तिगत विशेषाधिकारों पर राष्ट्रीय हित की प्रधानता को रेखांकित किया, लेकिन साथ ही संकेत दिया कि सीएम को हटाना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.


व्यक्तिगत हित राष्ट्रहित के अधीन करना होता है- हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा, "कभी-कभी, व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन करना पड़ता है. लेकिन यह केजरीवाल की निजी राय है. यदि वह ऐसा नहीं करना चाहते, तो यह उन पर निर्भर है. हम कानून की अदालत हैं. क्या आपके पास कोई उदाहरण है कि न्यायालय द्वारा राष्ट्रपति शासन या राज्यपाल शासन लगाया गया है?"


यह व्यवहारिक मुद्दा कानूनी नहीं - कोर्ट
पीठ ने वकील से कहा कि उन्हें संवैधानिक अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए. अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वह न्यायिक हस्तक्षेप की अपेक्षा करने के बजाय संवैधानिक अधिकारियों से निवारण की मांग करें.'' पीठ ने कहा, "यह एक व्यावहारिक मुद्दा है, कानूनी मुद्दा नहीं. हम इसमें नहीं पड़ेंगे, राज्यपाल पूरी तरह से सक्षम हैं. उन्हें हमारे मार्गदर्शन की जरूरत नहीं है."


पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने सीएम केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली इसी तरह की एक याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है.


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