दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी के सरकारी अस्पतालों में नर्सिंग ऑफिसर और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती में किसी भी तरह की बाधा ना आने देने का अहम आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने इसे स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए बेहद जरूरी बताया है. जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस मनीष अरोड़ा की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा एग्जाम रिजल्ट घोषित होने और जरूरी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद भर्ती प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए. 

हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सचिव को 22 अगस्त को व्यक्तिगत तौर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश होने का निर्देश भी दिया है. 

दिल्ली HC ने भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी करने के आदेश दिए

दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, ''इन पदों पर भर्ती स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए बेहद आवश्यक है. वहीं रिजल्ट घोषित होने के बाद जरूरी औपचारिकताओं को पूरा होते ही नियुक्ति पोस्ट के आधार पर की जाए. अन्य पदों की भर्ती का इंतजार किए बिना यह प्रक्रिया शुरू की जाए.'' 

हाई कोर्ट ने साल 2017 में लिया था स्वतः सज्ञान

दिल्ली हाई कोर्ट में यह मामला साल 2017 में स्वतः संज्ञान लेने के बाद शुरू हुआ था, जिसमें दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में गंभीर देखभाल की कमी के आरोप लगे थे. इससे पहले हाईकोर्ट ने एम्स के डायरेक्टर को डॉक्टर एक सरीन कमेटी की सिफारिश को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. कमेटी ने हेल्थ सिस्टम में कई खामियां जैसे- पदों के खाली रहना, एक्सपर्ट फैकल्टी की कमी और बुनियादी ढांचे की दिक्कतें उजागर की थी. 

हाई कोर्ट में इस मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में वकील अशोक अग्रवाल अप्वॉइंट किए गए हैं. वहीं दिल्ली सरकार ने 10 जुलाई को दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में बताया था कि नर्सिंग ऑफिसर्स और पैरामेडिकल स्टाफ के कई पद खाली हैं, और उनकी भर्ती के परिणाम अप्रैल से दिसंबर के बीच अलग-अलग डेट्स पर घोषित किए जाएंगे.

कई पदों पर भर्ती विज्ञापन जारी करने के निर्देश

हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ऑडियोमेट्री असिस्टेंट, ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट और फिजियोथैरेपिस्ट के पदों पर भर्ती के विज्ञापन जारी करने निर्देश दिए हैं. वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 अधूरी अस्पताल परियोजनाओं पर गंभीर चिंता जताई है, जहां पर निर्माण कार्य ठप पड़ा है. 

दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट को मई महीने की दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया था कि एक समीक्षा कमेटी बनाकर इन परियोजनाओं की डिटेल रिपोर्ट तैयार की गई है. डॉक्टर सरीन कमेटी की एक सिफारिश समर्पित पैलिएटिव केयर हॉस्पिटल बनाने की भी थी, जिस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा.