Delhi Govt school: दिल्ली के जिस शिक्षा मॉडल और बेहतरीन सरकारी स्कूलों का आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और अरविंद केजरीवाल सरकार (Arvind Kejriwal Government) हमेशा दम भरती रहती है. उन्हीं सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 16 हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. केजरीवाल सरकार पिछले 8 सालों में इसे भरने में नाकामयाब रही है. दिल्ली सरकार (Delhi Government) के शिक्षा निदेशालय की ओर से हाईकोर्ट को दी गई जानकारी में बताया गया है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 16546 पद खाली पड़े हैं, जिनमें तीन पद लाइब्रेरियन के हैं.

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इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार और नगर निगम को स्कूलों में शिक्षकों के खाली पड़े पदों और उसे भरने को लेकर उठाए गए कदमों को लेकर जानकारियों को उपलब्ध करवाने का आदेश दिया है. इस मामले में कोर्ट ने 4 सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि अगर सम्बंधित प्रतिवादी की ओर से ऐसा नहीं किया जाता है, तो उन्हें 25 हजार का जुर्माना भरना होगा.

आतिशी को बनाया गया है शिक्षा मंत्री

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गौरतलब है कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास शिक्षा, आबकारी, पीडब्लूडी सहित डेढ़ दर्जन विभाग थे. दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में जेल जाने के बाद उन्होंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके साथ-साथ जेल में पहले से बंद पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद केजरीवाल सरकार ने दो नए चेहरों सौरभ भारद्वाज और आतिशी को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया. आतिशी को शिक्षा मंत्रालय के अलावा पीडब्लूडी, बिजली, पर्यटन, महिला और बाल विकास, कला, संस्कृति और भाषा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी. वहीं सौरभ भारद्वाज को स्वास्थ्य, शहरी विकास, जल, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण, विजिलेंस, सर्विसेज और इंडस्ट्रीज मंत्रालय दिया गया है.

सिसोदिया के साथ कर चुकी हैं आतिशी 

आतिशी को शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी इसलिए दी गई, क्योंकि वो पार्टी और सरकार की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेती रही हैं और सिसोदिया के साथ मिल कर उन्होंने दिल्ली के शिक्षा मॉडल को विकसित किया था. अब सवाल ये उठता है कि जिस मनीष सिसोदिया के शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कामों का बखान आप करती आ रही है, उन्होंने इन रिक्तियों को भरने पर ध्यान क्यों नहीं दिया? क्या जो काम सिसोदिया नहीं कर पाए, आतिशी खुद को उनसे बेहतर साबित करते हुए कर पाएंगी? कोर्ट के आदेश के बाद आप और आतिशी दोनों के लिए ही शिक्षकों के पदों को भरना या इसके लिए ठोस कदम उठाना एक बड़ी चुनौती होगी.

कांग्रेस ने किया केजरीवाल पर कटाक्ष

वहीं दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षकों की रिक्तियों को लेकर भी विपक्षी पार्टियों ने आम आदमी पार्टी और केजरीवाल पर कटाक्ष किया है. एबीपी लाइव से खास बातचीत में दिल्ली कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अनुज आत्रे ने तंज कसते हुए कहा कि सिर्फ कुछ एक बिल्डिंगों को सुंदर बना देने से शिक्षा का स्तर नहीं सुधरता है. बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की जरूरत होती है, जिस पर पूर्व शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वो शराब मंत्री भी थे और उनका ध्यान तो घोटालों पर था, तो वो शिक्षा पर ध्यान कैसे देते.

'बिल्डिंगों से बच्चों को नहीं मिलती है शिक्षा'

उन्होंने कहा कि दिल्ली के 70 प्रतिशत से ज्यादा सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं. जब स्कूल में शिक्षक-प्रिंसिपल होंगे तो बच्चे कैसी भी बिल्डिंग में पढ़ लेंगे, लेकिन जब पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं होंगे, तो बिल्डिंग से बच्चों को शिक्षा थोड़ी न मिलेगी. उन्होंने कहा, "दिल्ली सरकार के पास फंड की कोई कमी नहीं है, इसके बावजूद शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं. उनसे जब आतिशी के शिक्षा मंत्री बनाए जाने की बात पूछी गई, तो कहा कि उन्होंने और सौरभ भारद्वाज ने तो अपने शपथ ग्रहण में ही साफ कहा था कि वो सिसोदिया के काम को आगे बढ़ाएंगे, तो वो भी भ्रष्टाचार और घोटाले को ही बढ़ावा देंगे."

बीजेपी ने भी बोला हमला

इसे लेकर बीजेपी के प्रवक्ता खेमचंद शर्मा ने भी दिल्ली के 80 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के न होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जब प्रदेश में बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत के आस-पास है तो आप युवाओं को शिक्षकों में भर्ती कर उन्हें रोजगार क्यों नहीं देती है. अगर आप और केजरीवाल-सिसोदिया का सही मायने में बच्चों की शिक्षा पर ध्यान होता तो दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 16 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली नहीं पड़े होते.

'शिक्षा मंत्री को शराब मंत्री बनाना गलत था'

बीजेपी ने आप पर आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री को शराब मंत्री बनाना गलत था, जिसका परिणाम ये रहा कि सिसोदिया का ध्यान शिक्षा की तरफ नहीं शराब घोटाले पर रहा. इसलिए आज जहां शिक्षकों की कमी से सरकारी स्कूल जूझ रही है तो वहीं इन स्कूलों में एडमिशन में भी गिरावट आई है, जबकि प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन बढ़े हैं और इसलिए प्राइवेट स्कूल मनोपली भी कर रहे हैं.

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