Delhi News: दिल्ली नगर निगम में स्टैंडिंग कमेटी के मसले लेकर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. विवाद की वजह से एमसीडी की सारी महत्वाकांक्षी परियोजनाएं अधर में लटकी पड़ी हैं. अब दिल्ली सरकार से हरी ​झंडी मिलने पर मेयर शैली ओबेरॉय ने स्टैंडिंग कमेटी का गठन तक उसकी शक्तियों को सदन को देने के मसले पर सोमवार को सदन की विशेष बैठक बुलाई है. 


आप सरकार के इस पहल का विपक्षी पार्टी बीजेपी ने विरोध किया है. साथ ही सत्ताधारी पार्टी की इस पहल को गैर संवैधानिक करार दिया है.इसके उलट बीजेपी पार्षदों ने मांग की है कि स्थायी समिति के चुनाव तुरंत कराए जाएं.


स्टैंडिंग कमेटी है एमसीडी की सबसे पावरफुल कमेटी


दरअसल, एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी सबसे पावरफुल समिति है. इसमें 18 सदस्य होते हैं. सभी फैसले बहुमत से लिए जाते हैं. यह कमेटी दिल्ली नगर निगम के पर्स स्ट्रिंग को नियंत्रित करती है. बड़े बजट वाले महत्वाकांक्षी परियोजनाओं से संबंधित सभी प्रस्ताव यही तैयार होते हैं और कमेटी की एप्रूवल के बाद इसे सदन में पास होने के लिए रखा जाता है. बिना स्टैंडिंग कमेटी के एप्रूवल के ऐसे प्रस्तावों को सदन में नहीं रखा जा सकता है. न ही ऐसी परियोजनाओं पर एमसीडी को काम करने का कोई अधिकार है. 


SC में लंबित है मसला 


बता दें कि एक साल से अधिक समय से स्टैंडिंग कमेटी न होने से एमसीडी में पूरी तरह से नीतिगत अपंगता की स्थिति में है. पैनल का गठन राजनीतिक और कानूनी गतिरोध में फंसा रहा. AAP ने दिसंबर 2022 में MCD चुनाव जीता, लेकिन निगम तब से स्थायी समिति के बिना काम कर रहा है. फिलहाल, यह मसला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.  इस मसले पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला ​बीजेपी के पक्ष में गया था, जिसका विरोध सुप्रीम कोर्ट में मेयर शैली ओबेराय ने सुप्रीम कोर्ट में किया था. 


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