Delhi Poll of Polls 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के ऐलान में अब केवल दो दिन का समय बचा है. इस बीच जनता यह जानने के लिए बेहद उत्सुक है कि दिल्ली की कुर्सी पर किसका राज होगा? क्या एक पार्टी बहुमत से आएगी या फिर गठबंधन की स्थिति बनेगी? या फिर विधानसभा में पक्ष-विपक्ष की तकरार बढ़ेगी? इन सब सवालों का जवाब My Axis India के चेयरमैन प्रदीप गुप्ता ने एबीपी न्यूज को दिए हैं.

क्या दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा बन सकती है? इस सवाल के जवाब में प्रदीप गुप्ता ने कहा, "मान लेते हैं पिछले 15 साल में 30 राज्य में कुल 90 विधानसभा चुनाव हुए और 3 लोकसभा चुनाव. इन सभी चुनावों में केवल 4-5 बार ऐसा हुआ है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी हो. अब दिल्ली की बात करें तो यह बात स्पष्ट दिख रही है कि जिस भी पार्टी की जीत होगी बहुमत से ही होगी, त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनती नहीं दिख रही है."

जानकारी के लिए बता दें कि साल 2015 में कांग्रेस को 10 फीसदी वोट हासिल हुए थे. वहीं, 2020 में 4.2 फीसदी वोट परसेंट रहा. लगातार घट रहा ग्राफ यह दर्शाता है कि त्रिशंकु विधानसभा के आसार कम ही हैं.

दिल्ली में एकतरफा वोटिंग की क्या रही वजह?2013 में ऐसी परिस्थिति बनी थी, जब कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया. हालांकि, 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी को एकतरफा जीत मिली. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि विधानसभा 2025 में निर्णायक जीत दिलाने वाली वोटिंग हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि इस बार दिल्ली के तीन बड़े मुद्दे क्या थे, जिन्होंने जनता को एक तरफ वोट करने के लिए प्रेरित किया?

जवाब में प्रदीप गुप्ता ने बताया, "दिल्ली में एक ही बड़ा मुद्दा है, जिसे वर्तमान सरकार के दावे और विपक्षी दल के वादे हैं. यह जनता पर निर्भर करता है कि वह सरकार के दावों पर विश्वास करती है या फिर विपक्षी दलों के वादे पर. इसके अलावा, पीने का पानी ऐसा मुद्दा है जो साल के 365 दिन व्यक्ति को प्रभावित करता है."

बीजेपी के पास सीएम चेहरा न होना मुश्किल?बीजेपी के पास मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा न होना क्या मुश्किल खड़ी कर सकता है या पीएम मोदी का चेहरा काफी है? इसको आम आदमी पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की, क्या जनता इससे प्रभावित होगी? इसके जवाब में प्रदीप गुप्ता ने बताया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा हर चुनाव में ही आगे किया जाता है, लेकिन इस बार के चुनाव में पीएम मोदी का चेहरा बहुत ज्यादा आगे किया गया है. पिछली बार मनोज तिवारी फ्रंट पर थे. इससे पहले सतीश उपाध्याय को कमान मिली थी. उनकी तुलना में वीरेंद्र सचदेवा इतने फ्रंट पर नहीं दिखे. इस बार का चुनाव अरविंद केजरीवाल बनाम नरेंद्र मोदी था और क्योंकि मोदी दिल्ली में ही हैं, इसलिए यह चुनाव उन्हीं के इर्द-गिर्द लड़ा गया है."

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