Delhi BJP CM: दिल्ली में बीजेपी ने बड़ा खेल करते हुए आम आदमी पार्टी को नतीजों में काफी पीछे छोड़ दिया है. यहां सबसे बड़ी जीत प्रवेश वर्मा की मानी जा रही है, जिन्होंने नई दिल्ली विधानसभा सीट पर दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराया है. जिसके बाद अब सीएम पद के लिए उनके नाम की चर्चा होने लगी है, बीजेपी में मौजूद उनके समर्थक उन्हें ही सीएम की कुर्सी का सबसे बड़ा उम्मीदवार बता रहे हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि ऐसे कौन-कौन से फैक्टर हैं जो प्रवेश वर्मा के पक्ष या फि उनके खिलाफ जा सकते हैं. 

नई दिल्ली सीट और सीएम की कुर्सीअब पहले बड़े फैक्टर की बात करें तो प्रवेश वर्मा के पक्ष में सबसे बड़ी बात यही है कि उन्होंने दिल्ली में एक दशक तक सीएम के तौर पर काम करने वाले केजरीवाल को हराया है. दिल्ली में ज्यादातर बार यही देखा गया है कि नई दिल्ली सीट पर जिस नेता ने बाजी मारी है, उसे ही सीएम का ताज पहनाया गया है. हालांकि बीजेपी ऐसे तमाम ट्रेडिशन को तोड़ने के लिए जानी जाती है.

प्रवेश वर्मा की मजबूत तैयारीदिल्ली के पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश साहिब सिंह या प्रवेश वर्मा ने इस बार नई दिल्ली सीट पर काफी पहले से ही अपनी जमीन तलाशनी शुरू कर दी थी. उनकी मजबूत तैयारी और दावेदारी के बाद ही बीजेपी के आलाकमान की तरफ से उन्हें नई दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ उतारा गया. प्रवेश वर्मा की ये मजबूत तैयारी भी उनके सीएम बनने के रास्ते में एक बड़ा फैक्टर हो सकता है. 

महिलाओं पर फोकसप्रवेश वर्मा ने चुनाव से ठीक पहले महिलाओं पर फोकस किया था, अब उनकी जीत के बाद ये कहा जा सकता है कि वो महिलाओं को साधने में कामयाब रहे. जहां केजरीवाल ने महिला सम्मान योजना के जरिए महिलाओं को 2100 रुपये देने की बात कही, वहीं प्रवेश वर्मा ने सीधे महिलाओं को अपने आवास पर बुलाकर आर्थिक मदद के तौर पर 1100 रुपये देने शुरू कर दिए. जिसे लेकर काफी बवाल भी हुआ था. 

संघ से नजदीकी तमाम चुनावों की तरह दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ यानी आरएसएस की बड़ी भूमिका बताई जा रही है. बताया गया कि RSS ने घर-घर जाकर करीब 50 हजार से ज्यादा लोगों से बातचीत की और ऐसी बैठकें हुईं. अब प्रवेश वर्मा के पॉजिटिव फैक्टर ये भी है कि वो बचपन से ही संघ से जुड़े हैं. साथ ही केशवपुरम से शाखा प्रमुख भी रह चुके हैं. 

जाट फैक्टर आ सकता है कामप्रवेश वर्मा बीजेपी के लिए इसलिए भी एक अच्छी चॉइस हो सकते हैं क्योंकि वो जाट समुदाय से आते हैं. ऐसे में एक बड़ा मैसेज देने के लिए भी उन्हें दिल्ली की सत्ता सौंपी जा सकती है. इससे हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में भी बीजेपी एक मैसेज देने में कामयाब हो सकती है. साथ ही बाकी राज्यों में भी जाट वोटर्स में सेंध लगाने का काम हो सकता है. 

विवादों से जुड़ा है नाताअब उन फैक्टर्स की बात करते हैं, जो प्रवेश वर्मा के सीएम की दावेदारी के खिलाफ जा सकते हैं. इसमें सबसे बड़ा फैक्टर उनके विवादित और कट्टर बयान हैं. पिछले तमाम चुनावों में प्रवेश वर्मा ऐसे बयान देते आए हैं, जो एक खास समुदाय के खिलाफ थे. 2020 में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग में चल रहे एंटी CAA प्रोटेस्ट को एक घंटे में खत्म करने की बात कही थी. इसके अलावा उन्होंने एक खास समुदाय के लिए बयान दिया था कि ये घर में घुसकर बेटियों के साथ रेप करेंगे... साथ ही वो इस समुदाय को पूरी तरह से बहिष्कार करने की बात कर चुके हैं. 

राजधानी दिल्ली जैसे राज्य में ऐसे सांप्रदायिक बयानबाजी करने वाले नेता से दूरी बनाई जा सकती है. यानी वर्मा के बयानों की हिस्ट्री उनके सीएम पद तक पहुंचने में बड़ा रोड़ा साबित हो सकती है. अब बीजेपी ने हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड जैसे राज्यों में जो किया, वो दिल्ली में भी होने की उम्मीद जताई जा रही है. यही वजह है कि कोई भी फिलहाल सीएम पद को लेकर सटीक भविष्यवाणी करने की हालत में नहीं दिख रहा है.

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