Delhi Vikaspuri Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब महज दो हफ्तों का समय शेष बचा है. सभी राजनीतिक दल और उसके उम्मीदवार प्रचार-प्रसार में पूरे जोश से जुटे हुए हैं और नामांकन का दौर भी शुरू हो चुका है. ऐसे में आज पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट के विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र के बारे में बात की जा रही है, जहां कई मशहूर हस्तियों के घर है. यह सीट पिछले तीन चुनावों में आम आदमी पार्टी के लिए मजबूत किले के रूप में उभर कर सामने आई है.

विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र राजधानी दिल्ली के 70 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है और यह पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट के तहत आने वाले क्षेत्रों में पॉश एरिया माना जाता है. इस लोकसभा सीट में विकासपुरी के अलावा नौ अन्य विधानसभा क्षेत्र- उत्तम नगर, राजौरी गार्डन, हरि नगर, तिलक नगर, जनकपुरी, मटियाला, द्वारका, मादीपुर और नजफगढ़ शामिल हैं. 

विकासपुरी सीट का अस्तित्व साल 2008 में परिसीमन के बाद आया. यहां पहले चुनाव में मामूली अंतर से कांग्रेस के प्रत्याशी ने बीजेपी प्रत्याशी को मात देकर जीत दर्ज की थी. लेकिन, इसके बाद के लगातार तीन चुनावों में यहां पर आम आदमी पार्टी का दबदबा रहा है, वहीं बीजेपी यहां दूसरे नंबर की पार्टी रही.

चौथी बार यादव पर जताया भरोसा

आम आदमी पार्टी के महिंदर यादव साल 2013 से 2020 तक हुए तीन चुनावों में लगातार जीत दर्ज की है. इस बार भी आम आदमी पार्टी ने महिंदर यादव को ही अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि यहां से पहली जीत को तरस रहे बीजेपी ने पंकज कुमार सिंह को टिकट दिया है तो वहीं यहां वापसी की चाहत में कांग्रेस ने एडवोकेट जितेन्द्र सोलंकी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

दिल्ली की सबसे बड़ी विधानसभा सीट

विकासपुरी में कुल 4,62,000 मतदाता हैं और मतदाताओं के हिसाब से यह दिल्ली का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है. यहां 2,47,575 पुरुष मतदाता, 2,14,555 महिला मतदाता और 54 थर्ड जेंडर वोटर हैं. यहां पर मिक्स आबादी रहती है. विकासपुरी में हर तबके के लोग रहते हैं, लेकिन ज्यादातर पूर्वांचल, जाट, त्यागी समुदाय के लोग रहते हैं. अनाधिकृत कॉलोनी की वजह से सफाई, नाली, साफ पानी, सुरक्षा के मुद्दे बड़े हैं.

बीजेपी अब तक खोल नहीं पाई है खाता

बताते चलें कि परिसीमन से पहले, 1993 से 2008 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. कांग्रेस के मुकेश शर्मा 1993 से 2003 तक जीतते रहे, फिर 2008 में नंद किशोर ने कांग्रेस के टिकट पर यहां से जीत हासिल की. लेकिन, आम आदमी पार्टी के आने के बाद से कांग्रेस यहां की सीट से महरूम हो गई.

अब तक एक बार भी बीजेपी इस सीट को जीत नहीं पाई है और यह सीट बीजेपी के लिए एक बड़ी पहेली बनी हुई है. अब देखना दिलचस्प होगा कि यहां आप का विजय रथ जारी रहेगा या कांग्रेस यहां वापसी करती है या फिर बीजेपी इस सीट को जीत कर हार के तिलिस्म को तोड़ पाती है.

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