Badarpur Assembly Constituency: दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा का चुनाव होगा. बदरपुर विधानसभा सीट पर अब तक किसी भी पार्टी को लगातार दो बार चुनाव में जीत नहीं मिली है. हर चुनाव में जनता ने मन बदला है. दूसरी तरफ प्रत्याशी भी दल बदलने में पीछे नहीं रहे. इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी से राम सिंह नेताजी, बीजेपी से नारायण दत्त शर्मा और कांग्रेस से अर्जुन सिंह भड़ाना आमने-सामने हैं. बीते चुनावों में बीजेपी और आप के बीच सीधा मुकाबला रहा है.

इस बार कांग्रेस की कोशिश त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की है. पहली बार बीजेपी नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी बदरपुर के दंगल में नहीं हैं. बदरपुर विधानसभा का गठन होने के बाद बिधूड़ी और आप के राम सिंह नेताजी में मुकाबला रहा है. इस सीट पर हुए कुल सात चुनावों में रामवीर सिंह बिधूड़ी को चार और राम सिंह नेताजी को दो बार जीत मिली है. पिछली बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर नारायण दत्त शर्मा ने चुनाव लड़ा था. इस बार बीजेपी की तरफ से प्रत्याशी बनाए गए हैं. 

राम सिंह को आप ने दूसरी बार बदरपुर से खड़ा किया है. कांग्रेस ने युवा नेता अर्जुन भड़ाना पर दांव लगाया है. 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को रामबीर सिंह बिधूड़ी को जीत मिली थी. उन्होंने 90,082 वोट हासिल किए थे. आप के राम सिंह नेताजी को 3719 वोटों से शिकस्त मिली थी. राम सिंह ने 86,363 वोट प्राप्त किया था. बसपा प्रत्याशी नारायण दत्त शर्मा 10,436 वोट हासिल कर तीसरे नंबर पर रहे थे.

वर्ष 2015 के चुनाव में नारायण दत्त शर्मा ने जीत दर्ज की थी. आप के टिकट पर उन्होंने 94,242 वोट हासिल किया था. बीजेपी के रामबीर सिंह बिधूड़ी को नारायण दत्त शर्मा से शिकस्त मिली थी. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले राम सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे. हरियाणा की सीमा से लगने वाली बदरपुर विधानसभा क्षेत्र में कच्ची कॉलोनी की संख्या काफी अधिक है. बदरपुर में पूर्वांचली के साथ गुर्जर मतदाताओं की भी संख्या अधिक है. 

बदरपुर में कुल वोटर्स 191241 पुरुष वोटर्स 109349 महिला वोटर्स 81889 

क्या है इलाके की समस्या

बदरपुर में जाम की समस्या बरकरार है. सड़कों की स्थिति भी काफी जर्जर है. मीठापुर, खड्डा कॉलोनी, ज्ञान मंदिर रोड पर आए दिन दुर्घटना होती रहती है. दूसरी तरफ बदरपुर विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है. इलाज के लिए लोगों को दूर जाना होता है. इलाके में पेयजल और साफ-सफाई की कमी भी बड़ा मुद्दा है.

बदरपुर का राजनीतिक परिदृश्य काफी गतिशील रहा है. प्रत्याशी के साथ मतदाताओं का भी मन बदला है. यही वजह है कि अब तक कोई भी राजनीतिक दल पिछले सात चुनावों में बदरपुर सीट से लगातार जीत दर्ज नहीं कर सका है. अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार बीजेपी मिथ्य को तोड़ने में कामयाब हो पाती है या आप की वापसी होती है या फिर दशकों से हार का स्वाद चखने वाली कांग्रेस चौंकाने वाला नतीजा देती है. 

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