Delhi News: आउटर नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट की साइबर क्राइम पुलिस ने मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन के नाम पर ठग गिरोह का भंडाफोड़ किया है. आरोपी फर्जी वेबसाइट और गूगल विज्ञापन से लोगों को जाल में फंसाते थे. पीड़ितों को मोबाइल टावर लगवाने पर मोटा मुनाफे का लालच दिया जाता था.
डीसीपी निधिन वलसान ने बताया कि पूठ खुर्द निवासी सोनू ने साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायतकर्ता का कहना था कि व्हाट्सऐप और फोन कॉल के जरिए ठगों ने संपर्क किया. उन्होंने बताया कि घर की छत पर मोबाइल टावर लगाने के बदले हर महीने किराया मिलेगा.
रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में एक लाख 85 हजार 650 रुपये जमा करने को कहा गया. झांसे में आकर सोनू ने रकम का भुगतान कर दिया. पैसा लेने के बाद ठगों ने मोबाइल टावर नहीं लगाया. ठगी का एहसास होने पर पीड़ित ने शिकायत पुलिस से की. पीड़ित की शिकायत पर जांच शुरू की गई. इंस्पेक्टर रमन कुमार सिंह के नेतृत्व में स्पेशल टीम का गठन किया गया. टीम ने तकनीकी जांच शुरू की. मोबाइल नंबरों और बैंक खातों की डिटेल खंगाली गई.
मोबाइल टावर लगाने के नाम पर ठगी
फर्जी वेबसाइट की पड़ताल से पता चला कि समालखा के रहने वाले 36 वर्षीय सरफराज ने डेवलप किया था. महावर एनक्लेव के रहने वाले 37 वर्षीय मुन्ना सिंह गूगल पर विज्ञापन देकर लोगों को फांसता था. 21 फरवरी को छापेमारी कर पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. सरफराज पेशे से वेब डेवेलपर है. उसने साइबर ठगी के लिए फर्जी वेबसाइट बनाई. मुन्ना सिंह आईटी सेक्टर में काम करने के बाद साइबर ठग गिरोह का हिस्सा बन गया.
गूगल एड्स और ऑनलाइन मार्केटिंग से लोगों को झांसा दिया जाता था. पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल 2 मोबाइल फोन और 4 लैपटॉप बरामद किए हैं. लैपटॉप में फर्जी वेबसाइट से जुड़े महत्वपूर्ण डेटा मिले हैं. पूछताछ में खुलासा हुआ कि टेलिकॉम कंपनियों के मोबाइल टावर लगवाने का दावा करने वाली www.towervision.in जैसी 50 से अधिक फर्जी वेबसाइटें बनी हुई हैं. रजिस्ट्रेशन का पैसा मिलने के बाद वेबसाइट बंद कर दी जाती थी. ठगों के फोन नंबर भी स्विच ऑफ हो जाते थे. डीसीपी ने बताया कि टेलीकॉम कंपनियां कभी भी मोबाइल टावर लगाने के लिए फोन या व्हाट्सएप मैसेज से संपर्क नहीं करतीं हैं. ऑफर आने पर समझ लेना चाहिए कि साइबर ठगों की करतूत है.
फोन या मैसेज आने पर रहें सतर्क
● किसी अनजान वेबसाइट पर अपनी निजी जानकारी न दें.● किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से पहले जांच करें.● टेलीकॉम कंपनियों की आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी लें.● साइबर ठगी की शिकायत तुरंत 1930 हेल्पलाइन नंबर पर करें.
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