अगर आप भी सोशल मीडिया या व्हाट्सऐप ग्रुप्स पर “शेयर मार्केट में भारी रिटर्न” या “IPO में इन्वेस्ट कर बनें अमीर” जैसी स्कीम्स देखकर आकर्षित होते हैं, तो यह खबर आपके लिए चेतावनी है. साउथ-वेस्ट जिले की साइबर पुलिस ने एक ऐसे अंतरराज्यीय गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो निवेश के नाम पर लोगों से करोड़ों की ठगी कर रहा था.

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चार राज्यों में छापेमारी, पांच गिरफ्तार

डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि साइबर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में छापेमारी कर पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान विक्रम (40 वर्ष), मुकुल (33 वर्ष), अक्षय (29 वर्ष), हरीकिशन सिंह (38 वर्ष) और मास्टरमाइंड मंगू सिंह (27 वर्ष) के रूप में हुई है. पुलिस ने आरोपियों के पास से 13 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, नौ चेकबुक, तीन रजिस्टर और आठ सिम कार्ड बरामद किए हैं.

व्हाट्सऐप ग्रुप से शुरू हुआ धोखा

पुलिस के मुताबिक, मामला तब सामने आया जब शिकायतकर्ता आर. चौधरी ने बताया कि उन्हें एक व्हाट्सऐप ग्रुप में जोड़ा गया था, जहां “इन्वेस्टमेंट इन स्टॉक्स” का लालच दिया गया. शुरुआत में छोटे-छोटे मुनाफे दिखाकर उनका भरोसा जीता गया. लेकिन जब उन्होंने 10 लाख 70 हजार रुपये का बड़ा निवेश किया, तो उनकी निकासी बंद कर दी गई और ठगों ने उनकी गाढ़ी कमाई हड़प ली.

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कैसे पकड़े गए ठग

मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी ऑपरेशन विजयपाल तोमर की देखरेख और एसएचओ प्रवेश कौशिक के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई.टीम ने तकनीकी निगरानी, मनी ट्रेल और डिजिटल फुटप्रिंट्स का विश्लेषण किया. फर्जी सिम और म्यूल खातों के बावजूद, टीम पहले आरोपी विक्रम तक पहुंची, जिसे हरियाणा के जींद से गिरफ्तार किया गया. उसकी निशानदेही पर बाकी आरोपी मुकुल, अक्षय, हरीकिशन सिंह और मास्टरमाइंड मंगू सिंह अलग-अलग राज्यों से पकड़े गए.

कम्बोडिया से जुड़े ठगी के तार

पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि यह गैंग भारत ही नहीं, बल्कि कम्बोडिया में बैठे विदेशी ठगों से भी जुड़ा हुआ था. छापेमारी के दौरान पुलिस को मिले मोबाइल फोन, लैपटॉप और रजिस्टरों में डिजिटल साक्ष्य बरामद हुए. इनमें म्यूल अकाउंट्स, चैट्स और लेन-देन के रिकॉर्ड शामिल हैं. अब तक पुलिस ने 4.25 करोड़ रुपये की फ्रॉड मनी की ट्रेल पकड़ ली है, जो अलग-अलग बैंक खातों और क्रिप्टो वॉलेट्स के ज़रिए घुमाई गई थी.

ATPay टेलीग्राम ग्रुप से चलता था ठगी का नेटवर्क

पुलिस ने बताया कि ठगी का यह पूरा नेटवर्क ATPay नाम के टेलीग्राम ग्रुप से संचालित किया जा रहा था. इस ग्रुप में विभिन्न राज्यों से म्यूल अकाउंट्स (यानि दूसरों के नाम पर खुले बैंक खाते) की डिमांड की जाती थी. विक्रम, मुकुल और अक्षय कमीशन लेकर ऐसे खाते उपलब्ध कराते थे, जबकि मास्टरमाइंड मंगू सिंह विदेशी ठगों के संपर्क में रहकर क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग करता था.

पुलिस के अनुसार, विक्रम हरियाणा के जींद में फोटोकॉपी शॉप चलाता था और फर्जी फर्म बनाकर बैंक अकाउंट खुलवाता था. मुकुल पंजाब में एसी रिपेयरिंग का काम करता है, जबकि अक्षय हिमाचल के संपर्कों के जरिए खाते उपलब्ध कराता था. रीकिशन सिंह एक कारोबारी है जो बिजनेस फेल होने के बाद गैंग से जुड़ गया. राजस्थान का मंगू सिंह पॉलीटेक्निक ड्रॉपआउट है और विदेश में बैठे हैंडलर्स से सीधा संपर्क रखता था.

जांच जारी, पुलिस ने दी चेतावनी

अब तक 15 साइबर शिकायतें NCRP प्लेटफॉर्म पर लिंक की जा चुकी हैं. पुलिस इस नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है. अधिकारियों के मुताबिक, NCR और आसपास के इलाकों में इस तरह की फेक इन्वेस्टमेंट स्कीम्स तेजी से फैल रही हैं, इसलिए लोगों को सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की इन्वेस्टमेंट स्कीम में फंसने से बचना चाहिए.