Delhi Congress Protests: देश की संसद और विधानसभाओं में 33% महिला आरक्षण कानून को तुरंत लागू करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय महिला कांग्रेस ने दिल्ली के जंतर मंतर पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में देश भर से आई महिला कांग्रेस की प्रदेश और जिला अध्यक्षों समेत हजारों महिला कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया.
'याचना नहीं, अब रण होगा'
अपने आक्रामक भाषण में अलका लांबा ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, महिलाओं को राजनीति में भागीदारी देने की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पंचायत और स्थानीय निकायों में आरक्षण देकर की थी. कांग्रेस की सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रयासों से महिला आरक्षण बिल यूपीए सरकार में ही पारित हुआ था. लेकिन 2014 से 2024 तक भाजपा सरकार ने इसे लागू नहीं किया.
उन्होंने कहा, चुनाव से ठीक पहले दिखावे के लिए बिल तो पास किया, लेकिन इसका क्रियान्वयन कब होगा, इसका कोई जवाब आज तक नहीं दिया गया. अलका लांबा महिला सशक्तिकरण की बात करने वाली मोदी सरकार ने क्यों अब तक इस कानून को लागू नहीं किया?
'महिलाओं का हक चाहिए, तुरंत चाहिए'
अलका लांबा ने साफ किया कि महिला कांग्रेस इस मुद्दे पर अब पीछे हटने वाली नहीं है. उन्होंने कहा, अब महिलाएं अपने अधिकार के लिए याचना नहीं करेंगी, अब सीधे रण होगा. देश के हर राज्य, हर जिले में प्रदर्शन होगा, सांसदों से सवाल पूछे जाएंगे, और अगर जरूरत पड़ी तो महिला कांग्रेस उन सांसदों का घेराव भी करेगी जो सदन में महिलाओं के मुद्दों पर चुप्पी साधे रहते हैं.
उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, सरकारी तंत्र ने हमें रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन यहां इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं की मौजूदगी ये साफ संदेश है कि अब हम अपना हक लेकर ही दम लेंगे. न हम चैन से बैठेंगे, न केंद्र सरकार को बैठने देंगे.
सड़क से संसद तक संघर्ष जारी रहेगा
अलका लांबा ने कांग्रेस नेतृत्व, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस महिला आरक्षण कानून को लागू कराने के लिए लगातार संघर्ष कर रही है. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन अब और तेज होगा और तब तक नहीं रुकेगा जब तक महिला आरक्षण कानून पूरी तरह से लागू नहीं कर दिया जाता.
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