दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक समझ को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है. उन्होंने रविवार को यह प्रस्ताव रखा कि दिल्ली में अध्ययनरत छात्रों को अन्य राज्यों के छात्रों के साथ संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कार्यक्रमों में शामिल किया जाएगा.

यह जानकारी एक आधिकारिक बयान के माध्यम से दी गई, जिसमें बताया गया कि इस पहल पर हाल ही में कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग के अधिकारियों के साथ हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में चर्चा हुई थी.

गैर-हिंदी भाषाओं की शिक्षा पर जोर

बैठक के दौरान सीएम ने कहा कि दिल्ली के स्कूलों में बच्चों को गैर-हिंदी भाषाएं सिखाने की संभावनाएं भी खोजी जाएंगी. उनका मानना है कि भाषाएं केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि किसी समाज की संस्कृति, परंपरा और सोच को भी दर्शाती हैं. ऐसे में अगर बच्चे अन्य राज्यों की भाषाओं से परिचित होंगे, तो वे न सिर्फ भाषा को समझेंगे बल्कि वहां की सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान से भी जुड़ सकेंगे.

भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष निर्देश

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे राजधानी में भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए एक विस्तृत और व्यावहारिक रिपोर्ट तैयार करें, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेख हो कि किन-किन भाषाओं को प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च स्तर पर सिखाया जा सकता है, हर स्तर के लिए क्या शैक्षणिक ढांचा और पाठ्यक्रम की आवश्यकता होगी.

साथ ही प्रशिक्षित शिक्षकों, पाठ्यपुस्तकों, डिजिटल संसाधनों और बुनियादी ढांचे की भी विस्तृत जानकारी शामिल की जाए.

देश की एकता में योगदान देने की मंशा

रेखा गुप्ता की यह पहल न केवल शैक्षिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, बल्कि यह देश की एकता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में एक ठोस कदम भी है. अधिकारियों का कहना है कि इस पर जल्द ही एक विस्तृत कार्य योजना तैयार कर उसे लागू किया जाएगा.