दिल्ली-एनसीआर की दमघोंटू हवा ने लोगों को सड़कों और उतरने को मजबूर कर दिया है. राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर जंतर-मंतर पर बुधवार (3 दिसंबर) को एनएसयूआई और दिल्ली सिटिजन्स ग्रुप ने मिलकर एक अनोखा सांस्कृतिक विरोध प्रदर्शन किया. 

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इसमें संगीत, रैप, कविता और स्ट्रीट आर्ट ने हवा में उड़ते प्रदूषण के खिलाफ आवाज बुलंद की. मंच पर कलाकारों और नागरिकों की एकजुटता ने साफ संकेत दिया कि, अब मामला सिर्फ पर्यावरण का नहीं, बल्कि सांस लेने के अधिकार का है.

जहरीली हवा के बीच संस्कृति बना विरोध का हथियार

एनएसयूआई और दिल्ली सिटिजन्स ग्रुप द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम सिर्फ एक विरोध नहीं था, बल्कि संस्कृति और कला के माध्यम से जन्म लेता नया जन-आंदोलन बन गया. रैपर्स ने धुएं से घिरी जिंदगी का दर्द सुनाया. कवियों ने हवा में मिले जहर को शब्दों में पिरोया और स्ट्रीट आर्टिस्ट्स ने अपनी कला से चेतावनी दी कि अगर अब भी नहीं जागे, तो दिल्ली का दम सचमुच घुट जाएगा.

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राहुल राम भी प्रदर्शन में हुए शामिल

भारत के जाने-माने बेसिस्ट राहुल राम भी इस विरोध में शामिल हुए. उनकी प्रस्तुति ने माहौल में जो ऊर्जा भरी, उसने लोगों को यह एहसास कराया कि कला सिर्फ अभिव्यक्ति नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव का एक सशक्त माध्यम है. भीड़ में मौजूद लोगों ने उन्हें सुनते हुए बार-बार कहा, अब ये आंदोलन रुकने वाला नहीं.

दिल्ली की हवा जहरीली

दिल्ली की हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि AQI लगातार 500 के पार बना हुआ है और PM2.5 स्तर WHO की अनुमेय सीमा से 50–100 गुना तक पहुँच चुका है. नतीजन बच्चे मास्क में भी हांफ रहे हैं, बुजुर्ग बेहोश होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. 

लाखों लोग दीर्घकालिक बीमारियों की जद में आ रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इस भयावह स्थिति के बावजूद सरकारें न तो कोई आपातकालीन योजना लेकर आई हैं और न ही स्वच्छ हवा की ठोस दीर्घकालिक रणनीति.

यह हमारे जीवन का सवाल- NSUI अध्यक्ष वरुण चौधरी

विरोध के दौरान एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा, "यह हमारे जीवन और हमारे भविष्य का सवाल है. संगीत और कला समाज को जगाने की ताकत रखते हैं. जब नागरिक और कलाकार साथ खड़े होते हैं, तो यह बताता है कि संकट कितना गहरा है." 

उन्होंने आगे कहा कि करोड़ों लोग जहर जैसी हवा में सांस ले रहे हैं. NSUI तब तक आंदोलन जारी रखेगी, जब तक स्वच्छ हवा और 50 से कम AQI को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता नहीं मिलती.

सरकार के सामने रखी ये तीन मुख्य मांगें

  • केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त आपातकालीन कार्ययोजना तुरंत लागू की जाए.
  • सभी प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रण में लाने के लिए वैज्ञानिक आधार पर दीर्घकालिक स्वच्छ हवा रणनीति बने.
  • सांस लेने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया जाए और AQI 50 या उससे कम सुनिश्चित किया जाए.

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित नागरिकों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि वे हर रविवार कला, संस्कृति और जनशक्ति के सहारे इस आंदोलन को आगे बढ़ाते रहेंगे, जब तक दिल्ली की हवा फिर से सांस लेने लायक नहीं हो जाती.