दिल्ली विधान सभा की विशेषाधिकार समिति ने आज अपनी अहम बैठक में ‘फांसी घर’ मामले पर आगे की कार्यवाही तय करने का फैसला किया है. समिति ने यह निर्णय तब लिया जब मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल और डिप्टी स्पीकर राखी बिरला लगातार तीसरी बार भी समिति के सामने पेश नहीं हुए.
समिति के अध्यक्ष प्रद्युम्न सिंह राजपूत ने जानकारी दी कि चारों नेताओं को अपना पक्ष रखने के लिए पहले भी दो मौक़े दिए गए थे, लेकिन वे दोनों तय तारिखों पर उपस्थित नहीं हुए. आज की बैठक में भी उनकी अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया गया और समिति ने साफ किया कि अब वह मामले में अगला कदम तय करेगी.
फांसी घर की ऐतिहासिक सच्चाई पर सवाल
यह मामला अगस्त 2022 में उस समय शुरू हुआ था जब दिल्ली विधानसभा परिसर में ‘फांसी घर’ नाम से एक संरचना का उद्घाटन किया गया उस समय उस स्थल को स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों के ‘फांसी दिए जाने’ से जोड़कर प्रस्तुत किया गया था.
लेकिन बाद में खुद विधानसभा अध्यक्ष रहे विजेंद्र गुप्ता ने 9 अगस्त 2022 को सदन में यह मुद्दा उठाया कि यह स्थल ऐतिहासिक रूप से ‘फांसी घर’ नहीं था और इसकी प्रामाणिकता पर बड़ा सवाल है. इसी के बाद मामले की सच्चाई सामने लाने और उद्घाटन की पूरी प्रक्रिया की जांच करने का जिम्मा विशेषाधिकार समिति को दिया गया.
जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता प्राथमिक लक्ष्य
आज की बैठक ‘फांसी घर’ की ऐतिहासिकता, उद्घाटन की प्रक्रिया और उससे जुड़ी परिस्थितियों की गहराई से पड़ताल के लिए रखी गई थी. समिति चाहती है कि पूरे मामले का तथ्यात्मक अध्ययन हो, ताकि यह पता चल सके कि क्या जनता के सामने गलत जानकारी रखी गई थी और अगर हां, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है.
समिति ने यह भी कहा कि जांच को निष्पक्ष रूप से पूरा करने के लिए सभी संबंधित लोगों की मौजूदगी और सहयोग जरूरी है. लगातार अनुपस्थिति से जांच की गति प्रभावित होती है. प्रद्युम्न सिंह राजपूत (अध्यक्ष), सूर्य प्रकाश खत्री, अभय कुमार वर्मा, अजय कुमार महावर, सतीश उपाध्याय, नीरज बसोया, रवि कांत, राम सिंह नेताजी और सुरेंद्र कुमार. समिति ने दोहराया कि उसकी प्राथमिकता पारदर्शिता, जवाबदेही और विधानसभा की अखंडता सुनिश्चित करना है. समिति ने स्पष्ट किया कि वह अब मामले की अगली कार्रवाई जल्द तय करेगी.