Delhi News: दिल्ली के महरौली स्थित अखंदूजी मस्जिद को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है. खुलासे के मुताबिक अखूंदजी मस्जिद को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 1922 में अपने रिकाॅर्ड में शामिल किया था. चैंकाने वाली बात यह है कि 30 जनवरी को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने आरक्षित वन क्षेत्र संजय वन में अखूंदजी मस्जिद और एक मदरसे को अवैध ढांचा बताकर ध्वस्त कर दिया था. 


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अखूंदजी मस्जिद को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक अधिकारी ने साल 1922 के अपने प्रकाशन में सूचीबद्ध किया था. हालांकि, इसके निर्माण की तारीख अज्ञात थी. मस्जिद की मरम्मत 1270 एएच - (1853.4 AD) में की गई थी. यह एक पुराने ईदगाह के पश्चिम में स्थित है. जब तैमूर ने 1398 ईस्वी में भारत पर आक्रमण किया था, उस समय भी यह अस्तित्व में था.


लिस्टेड मस्जिद अवैध कैसे?


इस मामले में इतिहासकारों का कहना है कि संजय वन को 1994 में ही आरक्षित वन क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया गया था, तो पुरानी मस्जिद अतिक्रमण कैसे हो सकती है. महरौली के इतिहास पर विस्तार से लिखने वले  इतिहासकार राणा सफवी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है कि अखूंदजी मस्जिद की तारीख अज्ञात है, लेकिन इसकी मरम्मत 1853.4 में की गई थी. मरम्मत के लिए कालक्रम सम्राट शाह जफर द्वारा लिखा गया था, क्योंकि 1270 एएच 1853.4 में वह जफर के तखल्लुस का उपयोग करने वाले एकमात्र व्यक्ति थे. उन्होंने लाल बलुआ पत्थर के स्लैब पर कालक्रम का अनुवाद भी उद्धृत किया है.


धार्मिक समिति ने दी थी हटाने की मंजूरी


बता दें कि 30 जनवरी को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने आरक्षित वन क्षेत्र संजय वन में अखूंदजी मस्जिद और एक मदरसे को अवैध ढांचा बताकर ढहा दिया था. डीडीए ने कहा कि धार्मिक प्रकृति की अवैध संरचनाओं को हटाने की मंजूरी धार्मिक समिति द्वारा दी गई थी, जिसकी जानकारी 27 जनवरी 2024 की बैठक के मिनट्स के जरिए दी गई थी. इस मामले में 31 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद  डीडीए से हलफनामा दायर करने को कहा गया था. इस मामले में अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी. 


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