Delhi Politics: आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता व दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) के अधिकारों को लेकर चल रहे विवाद पर विधानसभा स्पीकर के रवैये पर कड़ा ऐतराज जताया है. उन्होंने इसे विधायी पारदर्शिता और कानूनी मर्यादा के लिए गंभीर खतरा बताया है. आतिशी ने मांग की है कि इस मामले को तुरंत लॉ डिपार्टमेंट के पास भेजा जाए ताकि एक ठोस कानूनी राय ली जा सके. उन्होंने सवाल उठाया कि स्पीकर ऐसा करने से क्यों कतरा रहे हैं.  

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आतिशी ने कहा कि हमने विधानसभा अध्यक्ष से साफ-साफ कहा है कि केंद्र सरकार से GNCTD संशोधन एक्ट वापस लेने को कहें. अगर वह दिल्ली विधानसभा की कमेटियों को सचमुच मजबूत करना चाहते हैं, तो उनका यही पहला कदम होना चाहिए. उन्होंने पूछा कि दिल्ली की बीजेपी सरकार इस मुद्दे पर चुप क्यों है? उन्होंने लोकतांत्रिक संघवाद के इस अहम सवाल पर बीजेपी की खामोशी को आड़े हाथों लिया.  

कानूनी राय निष्पक्ष होनी चाहिए - आतिशी

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विधानसभा अध्यक्ष के इस दावे पर GNCTD संशोधन एक्ट का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. इस पर आतिशी ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अगर ऐसा है, तो फिर लॉ डिपार्टमेंट को मामला भेजने से डर क्यों है? हमारी एकमात्र मांग है कि इसे लॉ डिपार्टमेंट के पास भेजें, कानूनी राय लें. यह सही प्रक्रिया है. कानून की व्याख्या करना स्पीकर का काम नहीं, लॉ डिपार्टमेंट का है. चाहे अपने लॉ ऑफिसर्स से पूछें, दिल्ली के स्टैंडिंग काउंसिल से राय लें, या जरूरत पड़े तो अटॉर्नी जनरल से राय लें, बस कानून का पालन करें. 

उन्होंने कहा कि कानूनी राय निष्पक्ष और संवैधानिक नियमों पर आधारित होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कानूनी राय का मतलब यह नहीं कि “आप” विधायक क्या सोचते हैं या बाजेपी विधायक और स्पीकर क्या चाहते हैं. यह कानून की बात है. हमारी मांग सीधी है कि लॉ डिपार्टमेंट को फैसला करने दें. उन्होंने पूछा कि कानूनी राय से इतना डर क्यों?

विधानसभा अध्यक्ष की निंदा की

आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष की उस धमकी की भी कड़ी निंदा की जिसमें चुने हुए विधायकों को कानूनी सवाल उठाने पर कमेटी की कार्यवाही से बाहर करने की बात कही गई. उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि अब हमें बताया जा रहा है कि अगर हम कमेटी में ये सवाल उठाएंगे, तो हमें मीटिंग से निकाल दिया जाएगा. देश के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.

आतिशी ने कहा कि दिल्ली की बीजेपी सरकार केंद्र से GNCTD संशोधन एक्ट वापस लेने की मांग क्यों नहीं कर रही है? लॉ डिपार्टमेंट की कानूनी जांच से बचने की इतनी बेताबी क्यों? जब चुने हुए प्रतिनिधि सवाल उठाते हैं, तो उन्हें कमेटी मीटिंग से बाहर निकालने की धमकी कैसे दे सकते हैं?