दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में आयोजित भोज में कांग्रेस सांसद शशि थरूर की मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा छेड़ दी है. इसी सिलसिले में कांग्रेस नेता उदित राज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला और कहा कि प्रधानमंत्री हर मौके को सियासी रणनीति में बदल देते हैं, चाहे वह कितना ही औपचारिक और कूटनीतिक क्यों न हो.

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उदित राज ने कहा कि यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का हिस्सा था, लेकिन इसे भी प्रधानमंत्री 'राजनीतिक चाल' के रूप में पेश करना चाहते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की कोशिश हमेशा यही रहती है कि विपक्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कमतर दिखाया जाए.

बीजेपी ने रूसी प्रतिनिधिमंडल से विपक्ष को रखा दूर- उदित राज

उदित राज ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी रूसी प्रतिनिधिमंडल से मिलते, तो यह भारत-रूस की पुरानी दोस्ती को मजबूत करता. राहुल गांधी विदेश नीति पर गंभीरता से बात करते हैं और उनकी बातों में स्थिरता होती है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी प्रतीकात्मक घटनाओं को ही उपलब्धि बताने में लगे रहते हैं, जिससे देश को वास्तविक लाभ नहीं मिलता.

विपक्ष के खिलाफ कूटनीति अपनाते है पीएम- उदित राज

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री की कूटनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत-रूस संबंध एक लंबे ऐतिहासिक विश्वास पर आधारित रहे हैं. सिर्फ प्रतीकात्मक कार्यक्रमों से यह रिश्ता मजबूत नहीं होता है. उनके मुताबिक, जब भी विपक्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई सकारात्मक भूमिका निभाता है, सरकार उसे ‘उपेक्षित’ दिखाने की कोशिश करती है.

केवल आयोजनों तक सीमित रहती है भारत की विदेश नीति

शशि थरूर की भोज में मौजूदगी को लेकर उन्होंने साफ किया कि थरूर विदेशी मामलों के जानकार हैं और संसद की स्थायी समिति के सदस्य होने के नाते उनकी उपस्थिति बिल्कुल स्वाभाविक और गरिमापूर्ण थी. लेकिन बीजेपी इसे भी अपनी राजनीतिक कथा में मोड़ने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की विदेश नीति को केवल आयोजनों और फोटो-ऑप तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए. हमारे पड़ोसियों से लेकर बड़े देशों तक हर जगह भरोसे की राजनीति चाहिए. राहुल गांधी जैसे नेता जब अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों से बात करते हैं, तो मुद्दों पर सार्थक संवाद होता है. यह केवल दिखावा नहीं होता है. उदित राज ने सरकार को संदेश दिया कि विदेश नीति में विपक्ष की भागीदारी को सकारात्मक रूप में लेना चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र में हर आवाज मायने रखती है. उन्होंने कहा कि देश प्रतीकों से नहीं, समझदारी भरे संवाद और दूरदर्शी फैसलों से आगे बढ़ता है.

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