दिल्ली सरकार के कृत्रिम बारिश परीक्षण पर प्रतिक्रिया देते हुए पर्यावरण के जानकारों ने इसे अल्पकालिक उपाय बताया है. पर्यावरणविदों ने कहा है कि इससे प्रदूषण अस्थायी रूप से कम हो सकता है, लेकिन इससे राष्ट्रीय राजधानी की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मूल कारणों का समाधान नहीं होगा. दरअसल, दिल्ली सरकार ने आईआईटी-कानपुर के सहयोग से शहर के कुछ हिस्सों में कृत्रिम वर्षा कराने के लिए मंगलवार (28 अक्टूबर) को ट्रायल किया.

Continues below advertisement

पर्यावरणविद विमलेंदु झा ने कहा, ‘‘बारिश से प्रदूषण कम हो सकता है, लेकिन यह केवल अस्थायी समाधान है, जो कुछ दिनों के लिए राहत दे सकता है. ऐसा हर बार नहीं किया जा सकता.’’ उन्होंने कहा कि सरकार को जमीनी स्तर पर प्रदूषण से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

कृत्रिम बारिश से मिट्टी और जल निकायों पर भी असर- एक्सपर्ट

विमलेंदु झा ने सवाल किया, ‘‘कृत्रिम बारिश से मिट्टी और जल निकायों पर भी असर पड़ता है क्योंकि इसके लिए सल्फर और आयोडाइड जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है. इसके अलावा, यह तरीका शहर-विशिष्ट है, पड़ोसी राज्यों से आने वाले प्रदूषकों का क्या?’’

Continues below advertisement

लेखिका और स्वच्छ वायु की वकालत करने वाली ज्योति पांडे लवकरे ने कृत्रिम बारिश परीक्षण की तुलना ‘स्मॉग टावर’ जैसे पिछले अल्पकालिक उपायों से की. उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषण कम करने का एकमात्र तरीका उत्सर्जन कम करना है, जिसके लिए कोई भी तैयार नहीं है. बादलों या हवा में रसायन मिलाना दिखावे के लिए है, वास्तविक बदलाव के लिए नहीं.’’ आगे कहा कि हाल के ताप विद्युत संयंत्रों के लिए उत्सर्जन मानदंडों को वापस लेने जैसे नीतिगत निर्णयों ने प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को कमजोर कर दिया है.

'ऐसे विकल्पों को समाधान के रूप में नहीं देखना चाहिये'

एक अन्य पर्यावरणविद् कृति गुप्ता ने कहा कि ऐसे विकल्पों पर विचार किया जा सकता है, लेकिन इन्हें अपने आप में समाधान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हमें वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए तैयार रहना चाहिए, लेकिन उन्हें एकमात्र विकल्प के रूप में प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए. स्थायी सुधार के लिए नागरिक जागरूकता, निजी परिवहन का कम उपयोग, धूल के स्रोतों पर नियंत्रण और बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन आवश्यक हैं.’’

वायु प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए कृतिम बारिश का परीक्षण

दिल्ली को वायु प्रदूषण से राहत दिलाने की कोशिश के तहत मंगलवार को कृत्रिम बारिश का परीक्षण किया गया. पिछले हफ्ते भी बुराड़ी क्षेत्र में कृत्रिम बारिश के रसायन का छिड़काव करने के लिए विमान ने परीक्षण उड़ान भरी थी. इस दौरान सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिकों का सीमित छिड़काव किया गया था. हालांकि, सफल कृत्रिम बारिश के लिए आवश्यक 50 फीसदी की तुलना में, वायुमंडलीय नमी का स्तर 20 फीसदी से भी कम होने के कारण यह प्रयास सफल नहीं हो सका.