Delhi News: दिल्ली में विभिन्न विभाग और नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए सर्विसेज और विजिलेंस मंत्री आतिशी ने एक आदेश जारी किया था. जिसे मुख्य सचिव ने मानने से इंकार कर दिया. अब इस मामले को लेकर मंत्री आतिशी ने कहा कि, संविधान ने कहा है कि भारत एक लोकतंत्र है यानी फैसला लेने का अधिकार भारत के लोगों को होगा. लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि काम करेंगे और उनका काम अच्छा या बुरा है यह तय करने का अधिकार भी जनता को है. ऐसे में संविधान के खिलाफ जाते हुए केंद्र एक कानून लेकर आई जो 11 अगस्त 2023 को नोटिफाई हुआ. 


बता दें कि, यह कानून कहता है कि, चाहे हमारा देश लोकतांत्रिक हो, लेकिन दिल्ली में निर्णय का अधिकार जनता या उनके प्रतिनिधि या सरकार को नहीं होगा. यह अधिकार ब्यूरोक्रेसी और एलजी के पास होगा. आतिशी ने कहा कि, इस कानून में कहा गया है कि, अगर कोई अधिकारी या सीएस चाहे तो वह मंत्री का आदेश मानने से मना कर सकता है. हमें इसका परिणाम 21 अगस्त को ही देखने को मिल गया. जब मुख्य सचिव ने 10 पन्ने की एक चिट्ठी लिखकर चुनी सरकार का आदेश मानने से इंकार कर दिया. 16 अगस्त को मैंने उन्हें चिट्ठी लिखी थी और उसके जवाब में सीएस ने कह दिया कि हम चुनी हुई सरकार के मंत्री की बात नहीं मानेंगे. उन्होंने लिखा है कि, अब ताकत अधिकारी के पास है चुनी हुई सरकार या मंत्री के पास नहीं है.


'ऐसा रहा तो अधिकारी नहीं मानेंगे मंत्री की बात'


आतिशी का कहना है कि, संविधान के अनुसार, चुनी हुई सरकार की जवाबदेही जनता के प्रति है, लेकिन जब अधिकारी सरकार का आदेश मानने से मना कर देते हैं फिर तो लोकतंत्र का मतलब ही खत्म हो जाता है. संविधान बेंच के 11 मई के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने साफ चेतावनी दी थी और वही आज दिल्ली में हो रहा है. यह तो शुरुआत है कल हो सकता है कि शिक्षा मंत्री के नाते मैं जनता की मांग पर स्कूल बनवाने की बात कहूं और शिक्षा सचिव वो बात मानने से मना कर दें. या फिर हो सकता है कि पावर सेक्रेटरी यह कह दें कि हम 24 घंटे बिजली नहीं देंगे.


आतिशी ने CS को आदेश में क्या कहा?


आगे आतिशि ने कहा कि, 16 अगस्त को जो मैंने सीएस को आदेश भेजा था वो एनसीसीएसए (NCCSA) को लेकर था. उस आदेश में मैंने लिखा था कि, यह भले ही असांवैधानिक है, लेकिन जनता के हित में हमने फैसला किया है कि विभागों के बीच में कॉर्डिनेशन के लिए मीटिंग करेंगे, लेकिन 21 अगस्त को सीएस ने यह मानने से मना कर दिया. कॉर्डिनेशन मैक्निज़्म को अगर सीएस मानने को तैयार नहीं हैं, तो अब एनसीसीएसए कैसे चलेगी. यह कॉर्डिनेशन मैक्निज्म इसलिए बनाने की जरूरत पड़ी थी क्योंकि, अभी अथॉरिटी चुनी हुई सरकार से बिना सलाह किए चल रही थी. अगर किसी डिपार्टमेंट को स्टाफ चाहिए या पोस्टिंग चाहिए, या किसी अधिकारी पर कार्रवाई करनी हो, तो इसके लिए सभी विभागों से पूछा जाए और यह सब सर्विसेज मंत्री से होकर एनसीसीएसए के पास जाए.


'हमारे पास आदेश न मानने का पवार'


आतिशी ने आगे कहा कि, लेकिन सीएस ने अपने लेटर में कहा है कि सेक्शन 45(J) हमें पावर देता है कि अगर सीएस को लगे तो वो सीएम या मंत्री को लिखकर बता सकते हैं कि वे आदेश नहीं मानेंगे. सीएस को अधिकार है कि वे कह सकते हैं कि आदेश नहीं मानेंगे, लेकिन हम अपनी तरफ से अपनी बात फिर से रखेंगे. अब सवाल यह है कि कोई भी फैसले कैसे लिए जाएंगे जब एनसीसीएसए को लेकर कॉर्डिनेशन ही नहीं होगा. वहीं न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत बच्चों को एग्जाम के दो मौके देने पर शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि, अगर बच्चों को दो मौके मिलेंगे बोर्ड एग्जाम के तो यह अच्छी बात है, क्योंकि एक एग्जाम को लेकर काफी प्रेशर होता है. अगर यह आदेश फ़्लेक्सिबिलिटी देता है बच्चों को तो यह अच्छा है, लेकिन हम इस पूरे आदेश को देख रहे हैं.



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