Manjinder Singh Sirsa Video: आज (24 फरवरी) दिल्ली की नई सरकार के पहले सत्र का पहला दिन है. इससे पहले दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है, जो चर्चा का विषय बन गया है. वीडियो के कैप्शन में सिरसा ने लिखा है, "समय का चक्र हमेशा घूमता है और जो आज सत्ता के शिखर पर होता है, वह कल कहीं गुमनाम हो सकता है."
कुछ ऐसा ही संदेश देते हुए मनजिंदर सिंह सिरसा ने अपने पुराने अनुभव को साझा किया और उन लोगों पर निशाना साधा, जिन्होंने कभी विधायकों को अपमानित कर विधानसभा से बाहर निकाल दिया था.
मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “समय वास्तव में सबसे बड़ा शक्तिशाली है. जिस दिन मुझे दिल्ली विधानसभा से अपमानित कर निकाला गया था, उस दिन इस पूरे षड्यंत्र के पीछे जो लोग थे— तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, वो सत्ता के नशे में चूर थे. उन्हें लगा था कि उनकी ताकत हमेशा बनी रहेगी, लेकिन आज हालात बिल्कुल बदल चुके हैं. इनमें से कोई भी व्यक्ति सत्ता में नहीं है. न्याय का पहिया हमेशा घूमता रहता है.”
राजनीति में बदलाव का दौरयह बयान उस समय में आया है जब दिल्ली की राजनीति बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी सहयोगी मनीष सिसोदिया अब विधायक नहीं हैं. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष रहे राम निवास गोयल भी राजनीतिक हाशिए पर जा चुके हैं.
कभी जो सत्ता के शीर्ष पर बैठे थे, आज वे खुद मुश्किलों से घिरे हैं. सोशल मीडिया पर इस बयान के बाद कई लोगों ने इसे 'कर्म का फल' करार दिया.
क्या कहता है इतिहास?दिल्ली की राजनीति में कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं जब किसी समय अपराजेय दिखने वाले नेता धीरे-धीरे सत्ता से बाहर हो गए. राजनीति में सत्ता का उत्थान और पतन आम बात है, लेकिन जब सत्ता का नशा हद से बढ़ जाता है, तब जनता भी अपने फैसले से बड़ा संदेश देती है.
इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि क्या वाकई 'कर्म का चक्र' पूरा हो गया है? या फिर यह सिर्फ एक और राजनीतिक बयानबाजी है?
समय की ताकत को नकारा नहीं जा सकताइतिहास गवाह है कि जो नेता जनता की भावना को नजरअंदाज करते हैं, वे ज्यादा दिनों तक सत्ता में टिक नहीं पाते. चाहे वह राष्ट्रीय राजनीति हो या फिर दिल्ली की सियासत, समय हमेशा अपने फैसले खुद करता है.
अब देखना यह होगा कि आगे दिल्ली की राजनीति किस दिशा में जाती है और क्या सत्ता के नशे में चूर अन्य नेताओं को भी यह संदेश समझ में आएगा?