Delhi News: दिल्ली सरकार का दावा है कि राजधानी के सरकारी स्कूलों की तस्वीर दिनों दिन बदल रही है. पिछले शिक्षा सत्र की तुलना में अब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में जारी बढ़ोतरी एक अच्छे संकेत हैं. ऐसे में छात्रों को दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नियमों को भली-भांति पालन करना जरूरी है. ऐसा ना करने पर, शिक्षा विभाग लापरवाही बरतने वाले बच्चों को परीक्षा में बैठने के आयोग्य और स्कूल से नाम काटने का फैसला ले सकता है. इसके अलावा, अब अभिभावकों को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आयोजित होने वाले पेरेंट्स टीचर मीटिंग में भी भागीदार होना आवश्यक है.

दिल्ली डायरेक्टरेट एजुकेशन बोर्ड ने एबीपी लाइव को जानकारी देते हुए बताया कि गुणवत्तायुक्त शिक्षा और सुनहरे भविष्य के लिए पठन-पाठन के साथ नियमित स्कूल आना आवश्यक है. शिक्षा विभाग लगातार छात्रों को स्कूल आने के लिए अपील करता रहा है. ऐसे में पूर्व आदेशानुसार कई नियम भी हैं, जिनका छात्रों के लिए पालन करना आवश्यक है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की कक्षा में उपस्थिति अगर 75% नहीं होती है, तो वो परीक्षा में बैठने के योग्य नहीं होंगे. अगर किसी खास वजह से 10% तक अटेंडेंस कम है, तो स्कूल के प्रधानाचार्य बच्चों को परीक्षा में बैठने की इजाजत दे सकते हैं. अब हर छात्रों को स्कूल में 75% अपना अटेंडेंस पूरा करना होगा.

कक्षा 9 से 12वीं तक के बच्चों के लिए 

दिल्ली शिक्षा विभाग के मुताबिक बच्चों के भविष्य के लिहाज से स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं काफी महत्वपूर्ण होती हैं. ऐसे में नियमित स्कूल आकर विषय के पाठ्यक्रम और टॉपिक को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है. इसलिए कक्षा 9वीं और 12वीं क्लास में पढ़ने वाले बच्चे अगर बिना सूचना दिए 6 दिनों तक लगातार विद्यालय नहीं आते हैं, तो उनका नाम काट दिया जाएगा. इससे पहले अभिभावकों को नोटिस भेज कर सूचना जरूर दी जाएगी. इसके अलावा, दिल्ली सरकार की तरफ से पेरेंट्स टीचर मीटिंग का भी नियमित आयोजन किया जाता है. इस बैठक में अभिभावकों का शामिल होना अब अनिवार्य कर दिया गया है. 

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