Arvind Kejriwal On DPS School Fees Hike: दिल्ली में स्कूल फीस के बढ़ने का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. प्रतिष्ठित स्कूल डीपीएस द्वारका की ओर से 34 छात्रों को फीस न भरने के कारण स्कूल से निष्कासित किए जाने की खबर ने अभिभावकों और आम जनता को झकझोर कर रख दिया है. वहीं इस मामले ने राजनीति में भी अपनी जगह बना ली है. इस घटनाक्रम के बीच दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “AAP सरकार के समय ऐसा कभी होने नहीं दिया गया. कोई भी स्कूल छात्रों को नहीं निकाल सकता था. हमारी सरकार हमेशा छात्रों और माता-पिता के साथ खड़ी रही है.” केजरीवाल के इस बयान ने एक बार फिर निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली और छात्रों पर उसके दुष्प्रभाव को चर्चा के केंद्र में ला दिया है.
छात्रों को स्कूल आने से रोकने पर बढ़ा मामलाकेजरीवाल ने जिस खबर का कटआउट पोस्ट किया है उसके मुताबिक डीपीएस द्वारका ने उन छात्रों को स्कूल आने से रोक दिया, जिनके अभिभावकों ने लगभग ₹1,95,000 की बढ़ी हुई वार्षिक फीस के बजाय शिक्षा निदेशालय द्वारा स्वीकृत ₹93,400 के अनुसार ही भुगतान किया था.
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सख्त निर्देश देते हुए स्कूलों को बकाया फीस के नाम पर छात्रों के साथ कोई जबरदस्ती न करने की चेतावनी दी थी. बावजूद इसके, 9 मई को अभिभावकों को एक ईमेल मिला, जिसमें लिखा था कि फीस न भरने के कारण उनके बच्चों का नाम काट दिया गया है और उन्हें ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेने के लिए बुलाया गया.
सैलरी सालाना 3-3.5% ही बढ़ती है, फीस दोगुनी- अभिभावकघटना के बाद से छात्रों और अभिभावकों में भावनात्मक अस्थिरता देखी जा रही है. एक अभिभावक ने कहा, “सैलरी सालाना 3-3.5% ही बढ़ती है, लेकिन स्कूल की फीस तो दोगुनी हो गई है. हमने हर आश्वासन पर भरोसा किया, फिर भी हमारे बेटे का नाम काट दिया गया.” वहीं, एक अन्य अभिभावक ने कहा, “महामारी ने वैसे ही आर्थिक हालात बिगाड़ दिए हैं और अब यह एक नया बोझ है. हमारा बेटा पहली बार रोया और बोला कि वह अब स्कूल नहीं जाना चाहता.”
दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों में फीस वृद्धि पर रोक के लिए नया विधेयक पेश किया है, जिसमें स्कूल, जिला और राज्य स्तर पर रेगुलेटरी कमेटी और ₹50,000 तक जुर्माने का प्रावधान है. जब तक कानून लागू नहीं होता, तब तक अभिभावकों की मुश्किलें जारी रह सकती हैं. स्कूल की प्रिंसिपल प्रिया नारायणन और शिक्षा निदेशालय ने फिलहाल प्रतिक्रिया नहीं दी है. वहीं केजरीवाल का बयान सैकड़ों चिंतित परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बना है.