दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल को 14 वर्षीय एक दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने के आरोप से बृहस्पतिवार को बरी कर दिया. दुष्कर्म पीड़िता की चोटों के कारण इलाज के दौरान मौत हो गई थी. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने मालीवाल को बरी कर दिया.
दिल्ली पुलिस ने 2016 में मालीवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जब वह दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष थीं. पुलिस ने कहा था कि किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों का घोर उल्लंघन हुआ है जो यौन अपराध की नाबालिग पीड़िता की पहचान की रक्षा से संबंधित हैं.
मामले की जांच के बारे में मांगी थी जानकारी
नाबालिग लड़की ने 23 जुलाई, 2016 को एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था. उसके पड़ोसी ने उसका यौन उत्पीड़न किया था और कथित तौर पर उसके गले में एक रासायनिक पदार्थ डालकर उसके आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाया था. पुलिस ने कहा कि मालीवाल ने क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त को भेजे एक नोटिस को प्रसारित किया था जिसमें उन्होंने मामले की जांच के बारे में जानकारी मांगी थी.
'जानबूझकर नोटिस को किया गया प्रसारित'
पुलिस ने आरोप लगाया कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिए गए इस नोटिस की प्रति में पीड़िता का नाम था. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि नोटिस को जानबूझकर विभिन्न व्हाट्सएप समूहों पर प्रसारित किया गया और टीवी चैनलों पर दिखाया गया.
2016 में दर्ज हुआ था मामला
दिल्ली पुलिस ने 2016 में मालीवाल के विरुद्ध मामला दर्ज किया था. उस समय वह दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष थीं. पुलिस के अनुसार, मालीवाल ने पीड़िता का नाम बताया. यह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का गंभीर उल्लंघन था. यह कानून यौन अपराध की नाबालिग पीड़िता की पहचान की रक्षा करता है.
नाबालिग लड़की की मृत्यु 23 जुलाई 2016 को एक अस्पताल में हुई. उसके पड़ोसी ने उसके गले में एसिड जैसा पदार्थ डाला था. इस रसायन से उसके अंदरूनी अंगों को नुकसान हुआ था.