दिल्लीवासियों को ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है. पश्चिमी दिल्ली के नजफगढ़ ड्रेन (साहिबी नदी) के किनारे सड़क निर्माण की योजना पर अक्टूबर से काम शुरू होने जा रहा है.

इस बीच सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में छावला से धूलसिरस के बीच 2.3 किलोमीटर लंबे हिस्से को विकसित करने के लिए टेंडर जारी किया है. इस पर करीब 9.3 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

490 करोड़ की लागत से बदलेगा पश्चिमी दिल्ली का नक्शा

जानकारी के अनुसार, झटिकरा पुल से बसई दारापुर तक दोनों किनारों पर करीब 60 किलोमीटर लंबी दो-दो लेन की सड़कें बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसकी अनुमानित लागत लगभग 490 करोड़ रुपये है. इस पर केंद्र सरकार की विशेष सहायता योजना (SASCI) से वित्त पोषित इस परियोजना में सड़कें सीमेंट-कंक्रीट से बनाई जाएंगी, ताकि लंबे समय तक टिकाऊ रहें.

सड़क नेटवर्क तैयार होने के बाद पंजाबी बाग, पश्चिम विहार, निलोठी, बापरोला, ककरोला, नजफगढ़, द्वारका, विकासपुरी, उत्तम नगर और जनकपुरी जैसी कॉलोनियों में रहने वाले लाखों लोगों को सीधा फायदा मिलेगा. यह सड़क इनर-रिंग रोड, आउटर-रिंग रोड, पंखा रोड, नजफगढ़ रोड और द्वारका एक्सप्रेसवे जैसे अहम रास्तों से जुड़कर दिल्ली और एनसीआर की कनेक्टिविटी को आसान बनाएगी.

प्रदूषण को कम करने में भी मिलेगी मदद

इस योजना में ना केवल जाम से मुक्ति दिलाने भर तक सीमित नहीं है. नजफगढ़ ड्रेन यमुना में प्रदूषण फैलाने का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है. सड़क के साथ-साथ हरियाली और बेहतर प्रबंधन से इस क्षेत्र में स्वच्छता और पर्यावरण सुधार की दिशा में भी मदद मिलेगी.

इस विचार पर करीब एक दशक पहले शीलादीक्षित सरकार ने भी नाले के किनारे सड़क बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन पर्यावरणविदों के विरोध में वह ठहर गई. इसके बाद 2022 में आप सरकार ने भी 59 किलोमीटर लंबी सड़क का ऐलान किया था, जिसकी लागत 616 करोड़ रुपये बताई गई थी, लेकिन परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी. इस साल मई में केंद्र सरकार ने नए नेटवर्क का ऐलान किया और अब उस पर अमल शुरू होने जा रहा है.

सिर्फ सड़क नहीं, पूरा विकास

नई सड़क के साथ फुटपाथ, लाल और सफेद बलुआ पत्थर से बने वॉकवे, स्ट्रीट लाइटें और संकेतक चिन्ह लगाए जाएंगे. हरियाली पर भी जोर रहेगा. इस निर्माण एजेंसी में एक साल की गारंटी अवधि पूरी होने के बाद चार साल तक मुफ्त रखरखाव भी करेगी.

यह परियोजना सिर्फ एक सड़क निर्माण नहीं, बल्कि दिल्ली की लाइफलाइन साबित हो सकती है. इससे नजफगढ़ नाले के किनारे की तंग गलियों और जाम भरे रास्तों की तस्वीर बदलने की उम्मीद है.