Chhattisgarh News: सरगुजा संभाग में इन दिनों ठंड का क़हर चरम पर पहुंचता जा रहा है. वैसे भी सरगुजा संभाग के सभी ज़िले अपनी पहाड़ी और हरियाली के कारण पड़ने वाली ठंड के लिए चर्चा में रहती है. और इस ठंड की वजह से संभाग में हज़ारों लोग बीमार पड़ते हैं तो ठंड के कारण कई बार लोगों की मौत भी हो जाती है. इधर मुसाफ़िरों को ठंड बारिश और गर्मी से बचने के लिए कई साल पहले सरगुजा संभाग समेत समूचे छत्तीसगढ़ के ज़िला मुख्यालय से लेकर ब्लाक मुख्यालय तक रैन बसेरा बनाया गया था. लेकिन ये रैन बसेरा लोगों के रूकने के लिए काम नहीं आ रहे हैं. इसका दूसरी गतिविधियों के लिए प्रयोग हो रहा है.
कहीं बंद है तो कहीं कुछ और उपयोग
रैन बसेरा का सीधा सा मतलब है कि वो स्थान जहां पर ब्लाक या ज़िला मुख्यालय में अपने काम से आने वाले लोग या मुसाफ़िर निःशुल्क और सुरक्षित रूप से रात बिता सकें. लेकिन सरगुजा संभाग में रैन बसेरा का उपयोग प्रशासन द्वारा या तो किसी कार्यालय, संस्था या सरकारी घर के रूप में कराया जा रहा है. या फिर उन रैन बसेरा में ताला लटक रहे हैं. कमोबेश यही स्थिति समूचे छत्तीसगढ़ की है. जबकि ख़ासकर ठंड के दिनों में इसका उपयोग किसी मसाफिर खाने के रूप में किया जा सकता है. जिसके लिए इन रैन बसेरा का निर्माण कराया गया था.
कार्यालय बने रैन बसेरा
ज़रूरतमंद, गरीब और असहाय मुसाफ़िरों के लिए बनाए गए कई रैन बसेरा आज भी बंद पड़े हैं और अधिकांश में शासकीय कार्यालय लग रहे हैं. बात करें सरगुजा के उदयपुर रैन बसेरा की तो पहले ये थाना प्रभारी का आवास हुआ करता था. अब इसमें आईटीआई भवन का संचालन हो रहा है. हालांकि इसकी स्थिति काफ़ी जर्जर है. इसके बाद बतौली ब्लाक मुख्यालय के रैन बसेरा की बात करें तो इसमें आम लोगों के लिए ताला लटका रहता है और किसी ख़ास के किसी आयोजन पर खेल दिया जाता है. इसी प्रकार सीतापुर रैन बसेरा की ओर नज़र डालने पर पता चला कि यहां पर जनपद पंचायत का कार्यालय लग रहा है.
जबकि जनपद के पास खुद का भी भवन है. इतना ही नहीं संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर के एक रैन बसेरा में कुछ महीने पहले तक एक शासकीय कार्यालय लगता था. जिसके बाद प्रशासन ने कुछ दिनों तक इसका उपयोग एक शासकीय मार्ट के रूप में किया. दूसरे बस स्टैंड स्थित रैन बसेरा इंसान के इस्तेमाल लायक़ ही नहीं रहा है. इसी तरह संभाग के तमाम ज़िला मुख्यालय और ब्लाक मुख्यालय में रैन बसेरा मुसाफिरों और ज़रूरतमंदों के लिए बंद पड़े हैं.
ठंड से हुई मौत तब खुला बसेरा
नवगठित ज़िला मनेन्द्रगढ-चिरमिरी-भरतपुर ज़िला मुख्यालय में कल एक व्यक्ति की मौत के बाद पता चला कि सड़क किनारे के तिरपाल के नीचे सोने और फिर ठंड लगने की वजह से उसकी मौत हो गई है. इस मौत के बाद नगर पालिक प्रबंधन और ज़िला प्रशासन की तरफ़ उंगली भी उठी. जिसके बाद सालो से बंद पड़े रैन बसेरा को खोला गया. मतलब साफ़ है कि सरकारी योजनाओं में जंग लगाने वाले अधिकारियों की नींद तब खुलती है.
जब कोई घटना हो जाती है. इतना ही नहीं नए बने जिले एमसीबी के रैन बसेरा में स्पष्ट लिखा है कि ये भवन पंचायत पदाधिकारियों के लिए रूकने के लिए है. जबकि रैन बसेरा मुसाफ़िरों के रूकने के लिए बनाया गया है. बहरहाल रैन बसेरा का इस्तेमाल बसेरा के रूप में नहीं होने के कारण गांव देहात से आने वाले लोगों और मुसाफ़िरों को होटल या लॉज लेकर रूकना पड़ता है. और अगर मुसाफ़िर गरीब है तो फिर वो फुटपाथ पर ही सो जाता है. ठंड के दिनों में ऐसी परिस्थिति में कई बार अनहोनी भी हो जाती है और इंसान असमय ही काल के गाल में समा जाता है.
इस संबंध ने एबीपी न्यूज ने सरगुजा के प्रभारी कलेक्टर विश्वजीत से चर्चा कि तो उन्होंने कहा, आपके माध्यम से हमें इसके बारे में जानकारी मिल रही है. एसडीएम से कहकर पता करवा लेता हूं. वहीं मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर कलेक्टर पीएस ध्रुव ने कहा, यहां के रैन बसेरा को साफ सफाई करवा दिया गया है. नगरीय निकाय को कहकर तकिया, गद्दे की व्यवस्था करवा रहे हैं. अलाव की व्यवस्था करवा रहे हैं.
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