Congress Session: कांग्रेस के महा अधिवेशन (Congress National Convention) में शामिल होने देशभर से हजारों कांग्रेसी नेता रायपुर पहुंचे हैं. आज कांग्रेस के महा अधिवेशन का दूसरा दिन है. इस बीच दिन भर के बिजी शेड्यूल के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपनी बहन प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के साथ छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर सिरपुर (Sirpur) पहुंचे. उन्होंने महासमुंद जिले के 1500 साल पुराने लक्ष्मण मंदिर (Laxman Temple) का दर्शन किया. दरअसल शनिवार की सुबह महा अधिवेशन में कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी का संबोधन हुआ. इसके बाद कांग्रेस पार्टी के संविधान में कई बड़े संशोधन के प्रस्ताव पर फैसला हुआ. इसी बीच महा अधिवेशन से ब्रेक लेते हुए राहुल और प्रियंका घूमने चले गए. उनके साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी गए थे. राहुल और प्रियंका के लक्ष्मण मंदिर के दर्शन के साथ ही अब इस मंदिर की अनोखी मान्यता की चर्चा होने लगी है. चलिए आपको बताते हैं इस मंदिर की कहानी...

ताजमहल की तरह प्रेम का प्रतीक माना जाता है लक्ष्मण मंदिरदेश में अब तक खोजे गए पुराने मंदिरों में छत्तीसगढ़ का लक्ष्मण मंदिर सबसे अनोखा है. जिस तरह ताजमहल को प्रेम की निशानी के रूप में देखा जाता है, उसी तरह लक्ष्मण मंदिर को भी प्रेम का प्रतीक माना जाता है. दरअसल इस मंदिर की रानी वसाटा देवी ने अपने पति की मृत्यु पर इस मंदिर को बनवाया था. ये मंदिर लाल ईंटों से बनाया गया है और इस मंदिर को लक्ष्मण मंदिर का नाम दिया गया है लेकिन ये मंदिर विष्णु भगवान को समर्पित है.

तीन धर्मों का संगम है सिरपुरआपको बता दें कि महासमुंद जिला इतिहास और पुरातत्व का खजाना है. यहां तीन धर्मों का संगम है जिसमें हिंदू ,बौद्ध, जैन धर्म से जुड़ी मूर्तियां प्राप्त हुई हैं. इसमें सबसे खास नागर शैली में बना लक्ष्मण मंदिर है. सिरपुर कभी दक्षिण कौशल की राजधानी हुआ करती थी. प्राचीनकाल में इसे श्रीपुर कहा जाता था. 625 से 650 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण कराया गया. जंगलों से ढके हुए इस मंदिर की खोज 1872 में हुई थी.

सिरपुर पर शैव राजाओं का शासन हुआ करता था. इन्हीं राजाओं में से थे सोमवंशी राजा हर्षगुप्त जिनका विवाह वैष्णव संप्रदाय को मानने वाले मगध नरेश की बेटी राजकुमारी वसाटा देवी के साथ हुआ. राजा हर्षगुप्त की मृत्यु के बाद रानी वसाटा देवी ने अपने पति की याद में इस मंदिर को बनवाया था. इस लिए छत्तीसगढ़ में इस मंदिर को प्रेम का प्रतीक माना जाता है.

लक्ष्मण मंदिर विष्णु भगवान को समर्पितलक्ष्मण मंदिर के गाइड सत्य प्रकाश ने बताया कि सिरपुर का प्राचीन नाम श्रीपुर था. यह कभी दक्षिण कौशल की राजधानी हुआ करती थी. यह उस समय बहुत बड़ा नगर हुआ करता था. ईंटों से निर्मित यह पहला मंदिर है, मंदिर के नीचे की जमीन की खुदाई की गई तो पता चला कि नीचे का फ्लोर पत्थरों से बनाया गया था जो मिट्टी से ढंक गया था. लक्ष्मण मंदिर के दक्षिण भाग में पुजारी का निवास था और पूर्व में अंडाकार कुआं है. मंदिर के सामने 16 स्तंभ का मंडप है. उसके बाद अंतराल और फिर गर्भगृह है. मंदिर के दरवाजे में भगवान विष्णु के अवतारों को नक्कासी किया गया है. गर्भगृह में शेषनाग के अवतार में लक्ष्मण भगवान है. मंदिर के दरवाजे में विष्णु भगवान के प्रथम अवतार मत्स्य अवतार है, वराह अवतार, नर्सिंग अवतार, वामन अवतार. यह मंदिर म विष्णु भगवान को समर्पित है लेकिन इसके गर्भगृह में शेषनाग की प्रतिमा है.

मंदिर की बनवाट इसकी सबसे बड़ी खासियतमिली जानकारी के अनुसार, 11वीं-12वीं शताब्दी में यहां भूकंप आया था और 14वीं शताब्दी में महानदी में बाढ़ से प्रलय आई थी. जिसके कारण महानदी के किनार बसे बहुत सारे मंदिर-मकान ध्वस्त हो गए लेकिन लक्षण मंदिर का बाल भी बांका नहीं हुआ. इसके पीछे लक्ष्मण मंदिर का अनोखा निर्माण है. मंदिर लाला ईंटों से बना है और इन ईंटों के बीच गैप बिल्कुल भी नहीं है. सीमेंट की जगह ईंटों को जोड़ने के लिए आयुर्वेदिक पेस्ट बनाया गया था जिसमें उड़द की दाल, बाबुल का गोंद, चुना, गुड़ और जंगली जड़ी बूटियों को मिक्स कर बनाया गया था. इसके अलावा ईंटो पर नक्काशी इसके एक और बड़ी खासियत है. गाइड सत्य प्रकाश ने बताया कि, पत्थरों में नक्काशी करना सरल है लेकिन ईंटो में नक्काशी करना बहुत ही कठिन होता है. ईंटों पर ईंटो में हाथी,सिंह, पशु पक्षी बनाए गए है.मंदिर के पूर्व दिशा में प्राचीन कुएं अंडाकार में बनाए गए है. अंदर का हिस्सा सकरी है और ऊपर का हिस्सा चौड़े है. ये कुंआ भूकंप भूकंप रोधी माना जाता है.

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