छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में कृषि विभाग के घोर लापरवाही का मामला सामने आया है, यहां के किसानों को जैविक खेती मिशन के तहत  50% सब्सिडी में दी जाने वाली पैडी वीडर उपकरण किसानों को नहीं बांटने के चलते पूरी तरह से कबाड़ हो गई, जिसके चलते शासन को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. दरअसल जिले के बांकुलवाही क्षेत्र में लगभग 300 नग पैडी वीडर  किसानों को बांटा जाना था, लेकिन करीब 1 साल से इन पैडी वीडर उपकरण को नहीं बांटने के चलते यह गोदाम में पड़े पड़े कबाड़ हो गये, जिसका अब कोई उपयोग नहीं हो रहा है.

कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही हुई उजागर

दरअसल जैविक खेती मिशन के तहत नारायणपुर जिले के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा बांकुलवाही क्षेत्र में किसानों के लिए 300 नग पैडी वीडर  वितरित किया जाना था, इस योजना के तहत किसानों को सिर्फ 50% ही राशि की भुगतान करनी पड़ती और बाकी की राशि उन्हें सब्सिडी मिलती, लेकिन वितरण के अभाव में यह गोदाम में पड़े पड़े अब कबाड़ हो गए हैं, इसमें कृषि विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही सामने आई है.

बताया जा रहा है कि करीब 302 नग पैडी वीडर  की कीमत 4 लाख रुपये आंकी गयी है, इस क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी महेश सलाम का कहना है कि क्षेत्र के किसानों के लिए अंबिका पैडी वीडर उपयोग विहीन है. इसे लेने में क्षेत्र के किसान कोई रुचि नहीं दिखा रहे.

वहीं जिले के कृषि विभाग के अधिकारी गंगेश्वर भोयर का कहना है कि बांकुलवाही क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी को बैठको में कई बार पैडी वीडर को यहां से ले जाकर किसानों को वितरित किए जाने के लिए चेतावनी दी गई, लेकिन उनके द्वारा वितरित नहीं किए जाने से यह कबाड़ हो गए हैं, जो अब उपयोग में भी नहीं है.

उन्होंने कहा कि मामले को गंभीरता से लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी. दरअसल पैडी वीडर  का उपयोग धान के फसल को खरपतवार से बचाने के लिए होता है, यह किसान द्वारा अपने खेत के फसल के बीच में आगे पीछे करके धान की 2 कतारों  के बीच चलाया जाता है. इस तरह खरपतवार के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाते हैं, और वह कीचड़ में मिल जाते हैं और धान के पौधों में मिट्टी चढ़ाने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, इस पैडी वीडर  से किसानों का काम आसान हो जाता है. यही वजह है कि इसकी खरीदी में 50% की सब्सिडी भी किसानों को दी गई है, बावजूद इसके समय पर इसके वितरित नहीं करने से अब  पैडिविडर  गोदाम में सड़कर कबाड़ हो चुके हैं, जिससे शासन को लाखों रुपए का नुकसान पहुंचा है.

इसे भी पढ़ें:

Chhattisgarh Politics: 2023 की तैयारियों में जुटी, 11 नवंबर को बिलासपुर में होगी पार्टी की 'हुंकार रैली'