Surguja News: सरगुजा ज़िले के बतौली ब्लॉक के एक गांव का नाम बिलासपुर है. पिछले करीब एक दशक से यहां रहने वाली 8-9 नाबालिग लड़कियां रहस्यमयी ढंग से ग़ायब हो गई हैं. दरअसल ज़िला मुख्यालय से क़रीब 35 किलोमीटर दूर इस गांव में एक अवैध खांडसारी उद्योग संचालित है और ग्रामीण के साथ सामाजिक कार्यकर्ता का आरोप है कि फैक्ट्री के संचालक और उनके कर्मचारी उनकी लड़कियों को बहला फुसलाकर अपने साथ ले गए हैं जो कभी वापस नहीं आई हैं


ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने पुलिस को इस मामले की जानकारी दी है लेकिन जानकारी होने के बाद भी पुलिस मौन हैं. हालांकि मामले के हाइलाइट होने पर अब पुलिस के आला अधिकारी इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं.


पिता ने कहा- बेटी चाहिए


बतौली गांव के रहने वाले मद्विम साय प्रजापति ने कहा कि उनकी बेटी 13 साल की उम्र से ही गायब है और पिछले 6 साल से लापता है. साय ने बताया कि बेटी के ग़ायब होने पर जब वह नहीं मिली तो वे गुड़ फ़ैक्ट्री के कर्मचारी मांगे राम का रूम देखने गए तो रूम बंद था और कर्मचारी की गाड़ी भी नहीं थी. इस दौरान प्रजापति ने इसकी शिकायत थाने, कलेक्टर और एसपी से भी की थी. पुलिस टीम ख़ानापूर्ति करने के लिए उनकी बेटी को ढूंढ़ने के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश में गई और घूम फिर कर वापस आ गई, आज तक उनकी लड़की का कोई पता नहीं चला है.


'इलाके से आधा दर्जन लड़कियां गायब'


क्षेत्र में काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. आस्था महंत ने बताया कि वो लोग लंबे समय से महिला सशक्तिकरण पर काम कर रहे हैं, उनके मुताबिक़ वो बतौली ब्लॉक के बिलासपुर और आस पास के कई गांव में गई जहां पता चला कि इलाक़े से आधा दर्जन से अधिक लड़कियां ग़ायब हैं. डॉ. आस्था ने कहा कि लड़कियों के ग़ायब होने की मुख्य वजह बिलासपुर में बना खांडसारी उद्योग है. खांडसारी उद्योग में बाहर से काम करने वाले मज़दूर और कर्मचारी गांवों की लड़कियों को बहला फुसला लेते हैं. उसके बाद लड़कियों को लेकर प्रदेश से बाहर चले जाते हैं. 


मामले को लेकर क्या बोले एडिशनल एसपी


वहीं, सरगुजा के एडिशनल एसपी विवेक शुक्ला के मुताबिक बतौली थाना में 2018 में 363 ipc की धारा के साथ अपराध दर्ज किया गया था. उन्होंने बताया कि 2018 में यहां किराए पर रहने वाले शख्स के साथ लड़की का जाना प्रदर्शित हुआ था. उसी आधार पर उन दिनों और आज भी पुलिस पतासाजी कर रही है. इस मामले में एक स्पेशल टीम भी बनाई गई थी. जो टीम तीन बार दिल्ली, गुजरात और उत्तर प्रदेश के शामली भेजी गई थी पर लड़की की बरामदगी नहीं हो पाई. एएसपी ने कहा कि इस मामले को लेकर अभी भी पुलिस कार्यवाही कर रही है और साक्ष्य के आधार पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी. 


गुड फ़ैक्ट्री का मालिक दबंग


ग्रामीणों का कहना है कि यहां संचालित अवैध खांडसारी उद्योग का मालिक कृष्ण पाल तोमर आदिवासी इलाक़े के लोगों को अपनी दहशत के साए में रखता था. अवैध रूप से गन्ना ख़रीदना, अवैध रूप से गुण बनाना और नाम मात्र का रुपया देकर आदिवासी वर्ग के लोगों से काम कराने के साथ बहन-बेटियों पर ग़लत निगाह रखना उसकी आदत में शुमार था. हरियाणा से आकर यहां व्यवसाय करने वाले तोमर और उसके कर्मचारियों पर पिछले एक दशक से क्षेत्र की आदिवासी लड़कियों को हरियाणा ले जाने के कई बार आरोप लगे पर आज तक उसके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं हुई जिससे उसके हौसले आज भी बुलंद हैं. 


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