Chhattisgarh News: देश के नवरत्न कंपनी में से एक एनएमडीसी (NMDC) के छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा (Dantewada) जिले में मौजूद डिपॉजिट नंबर 14 के लौह अयस्क खदान को दोबारा लीज पर नहीं देने का फैसला 32 गांव के ग्रामीणों ने लिया है. दरअसल, 6 नवंबर को एनएमडीसी के डिपॉजिट नंबर 14 लौह अयस्क खदान की लीज खत्म हो जाएगी और जिसके बाद दोबारा इसे लीज पर दिया जाना है. वहीं इस खदान के आसपास रहने वाले 32 गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने एक स्वर में इसे लीज पर नहीं देने का फैसला लिया है.

दरअसल इस इलाके में रहने वाले ग्रामीण पिछले कई सालों से खदान की वजह से लाल पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. आलम यह है कि इस लाल पानी से कई ग्रामीण बीमार हो चुके हैं लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. यही नहीं ग्रामीणों का यह भी कहना है कि बच्चे पैदा होते ही खत्म हो जा रहे हैं. साथ ही किसानों के सैकड़ों एकड़ खेत की फसल लाल पानी की वजह से बर्बाद हो जा रही है. ऐसे में उन्होंने अब इस डिपॉजिट नंबर 14 को लीज पर नहीं देने का निर्णय लिया है. हालांकि, यह भी बताया जा रहा है कि 6 नवंबर को जनसुनवाई में एनएमडीसी प्रबंधन कुछ गांव के लोगों की सहमति के साथ इसे दोबारा लीज पर लेने की तैयारी कर रहा है.

लाल पानी से सैकड़ों ग्रामीण प्रभावितवहीं ग्रामीणों का कहना है कि 6 नवंबर की जनसुनवाई का पूरी तरह से बहिष्कार किया जाएगा. जब तक इस इलाके में लाल पानी की समस्या दूर नहीं हो जाती साथ ही इस क्षेत्र का विकास नहीं हो जाता तब तक डिपॉजिट  नंबर 14 के खदान को लीज पर नहीं दिया जाएगा. जिले के बैलाडीला में मौजूद एनएमडीसी डिपॉजिट नंबर 14 खदान की वजह से प्रभावित 32 गांव के ग्रामीणों का कहना है कि लाल पानी उनके लिए अभिशाप बन गया है. लाल पानी और लाल मिट्टी की समस्या लंबे समय से उनके गांव में बनी हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि लाल पानी के चलते गांव के लोगों की स्थिति बेहद खराब है, आदिवासियों के मवेशी मर रहे हैं, फसल बर्बाद हो रही है. हालात ऐसे हैं कि तालाबों में जो मछलियां पाल रहे हैं वह भी मर रही है.

गांव वाले जनसुनवाई का करेंगे विरोधवहीं लाल पानी की वजह से बच्चे पैदा होते ही मर जा रहे हैं. इन गांवों की आबादी लगातार कम हो रही है, लाल पानी से प्रभावित गांव में रहने वाले लोगों की सेहत तो खराब हो ही रही है उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि खुदाई की वजह से इस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं. इस वजह से वे खदानों में खुदाई का विरोध कर रहे हैं. वहीं आदिवासी नेत्री सोनी सोढ़ी ने कहा कि खदान के आवंटन के लिए 6 नवंबर को जन सुनवाई होनी है. इस जनसुनवाई की जानकारी मैदानी इलाके के गांव के लोगों को दी गई. जबकि खुदाई से परेशान प्रभावित गांव के लोगों को इसकी विधिवत जानकारी ही नहीं दी गई है. उन्होंने बताया कि लाल पानी के चलते इलाके के लोग परेशान हैं और कई समस्याओं से जूझ रहे हैं.

जल जंगल जमीन का हो रहा दोहनलोग जनसुनवाई में अपनी बातें रखना चाहते हैं, विकास के नाम पर एनएमडीसी CSR से पूरे दुनिया का विकास तो कर रहा है लेकिन एनएमडीसी के इस खदान से प्रभावित गांव तक पहुंचने के लिए सड़क तक नहीं बनी है, ना ही स्कूल भवन हैं. एनएमडीसी के अधिकारी हर बार नक्सली प्रभाव का हवाला देकर विकास से मुंह मोड़ लेते हैं. खदानों को लीज पर लेकर जल जंगल जमीन का दोहन करने के साथ यहां के ग्रामीणों की जान भी खतरे में डालते हैं. सोनी सोढ़ी ने कहा कि बिना ग्रामीणों को सूचना दिए जनसुनवाई करने का एनएमडीसी प्रबंधन ने निर्णय लिया है जिसका पूरा विरोध किया जाएगा.

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