अंबिकापुर में 11 किमी रिंग रोड़ में कथित घोटाले को लेकर अदालत ने सख्ती दिखाई है. अदालत ने आरटीआई कार्यकर्ता डी के सोनी की शिकायत पर कोतवाली थाना प्रभारी को एफआईआर दर्ज करने और 7 जनवरी 2022 तक न्यायालय मे अंतिम रिपोर्ट पेश करने का आदेश भी दे दिया है. गौरतलब है कि अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता डीके सोनी ने पुलिस की ओर से भ्रष्ट्राचार के मामले मे एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने के कारण मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी न्यायालय की शरण ली थी. जिसमें उन्होंने अंबिकापुर मे बने रिंग रोड मे आर्थिक अनियमितता, घोटाला, गड़बड़ी, फर्जीवाड़ा के साथ घटिया एवं गुणवत्ताविहीन काम किए जाने को लेकर दोषियो के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी.

याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने छत्तीसगढ रोड़ डवलेपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (सीजीआरडीए) के एमडी अनिल राय, महाप्रबंधक जी एस सोलंकी, परियोजना प्रबंधक मानसिंह ध्रुव, प्रबंधन वित्त सचिन शर्मा, आहरण इव सवितरण अधिकारी निशेस भट्ट, उप परियोजना प्रबंधक रश्मि वैश्य, सहायक परियोजना प्रबंधक अभिषेक विश्वकर्मा, टीम लीडर सुनील कुमार पांडेय, प्रबंधक ए आरसी टेस्टिंग दिल्ली राहुल सोनी, ठेकेदार सुशील अग्रवाल और शंकर अग्रवाव के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है.

1 साल की जगह तीन साल मे हुआ कामछत्तीसगढ़ सरकार के लोक निर्माण विभाग के आदेश पर सीजीआरडीए ने अंबिकापुर के 10.80 किलोमीटर रोड़ निर्माण का काम किशुन एंड कंपनी को दिया था. शांति नगर रायपुर मे स्थित कंपनी के कर्ताधर्ता ने इस काम को पेटी कांट्रैक्ट पर सूरजपुर की जगदंबा कंस्ट्रक्शन को दे दिया. शिकायकर्ता का ये आरोप है कि काम को एक साल की बजाय तीन साल में पूरा किया गया. साथ ही ठेकेदार ने ना तो स्वीकृत ड्राईंग डिजाइन मे काम नहीं किया. डीके सोनी ने ये भी आरोप लगाया है कि करोड़ों की सड़क का घटिया निर्माण किया है. वही गारंटी की अवधि समाप्त कर सिक्योरिटी की राशि रफा-दफा करने के षडयंत्र को रचने के लिए ठेकेदार ने निर्माण में ही उतना समय लगा दिया.

23 करोड़ का अतिरिक्त भुगतानडीके सोनी ने इस मामले मे बड़े आर्थिक अनियमिता का आरोप लगाया है. शिकायतकर्ता के मुताबिक अंबिकापुर के 10.80 किलोमीटर के रिंग रोड़ निर्माण के लिए 70 करोड़ 60 लाख 6 हजार 25 सौ रुपये की मंजूरी दी गई थी, लेकिन ठेकेदारों को 4 सितंबर 2019 तक कुल 94 करोड़ 8 लाख 56 हजार 7 सौ 52 रुपये का भुगतान किया जा चुका है. सोनी के मुताबिक ठेकेदार को लगभग 23 करोड़ का अधिक भुगतान किया गया.

पुलिस ने नहीं की कार्रवाईशिकायतकर्ता का आरोप है कि भ्रष्टाचार की शिकायत सरगुजा पुलिस अधीक्षक से की गई थी, लेकिन उसके बाद भी थाना प्रभारी और एसपी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई. जिसके बाद शिकायतकर्ता ने ठेकेदार और रिंग रोड निर्माण में शामिल सभी अधिकारियों के खिलाफ अदालत में केस दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था. आवेदन को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने 1 दिसंबर को स्वीकार कर लिया.

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