Mahasamund News: जेल का नाम सुनकर सभी सहम जाते हैं. जेल की चार दीवारों में कोई नहीं जाना चाहता है, लेकिन छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के महासमुंद जिला जेल (Mahasamund District Jail) से आई ये ख़बर जानकर आप हैरान हो जाएंगे. दरअसल यहां कैदी अपने घर की तरह काम करते हैं और पैसे भी कमाते हैं. कैदी जेल परिसर में गोबर से वर्मी कंपोस्ट (Vermicompost) तैयार कर रहे हैं और हरी सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं. इससे जेल के कैदियों के व्यवहार में सुधार आ रहा है.

 

छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना और सुराजी गांव योजना का लाभ जेल में बंद कैदियों को भी मिल रहा है. इससे कैदियों को न सिर्फ स्वरोजगार की नई दिशा मिली है, बल्कि जेल परिसर में हरियाली लिए खुशनुमा माहौल तैयार किया जा रहा है. महासमुंद जिले में गोधन न्याय योजना का विस्तार बारनवापारा के अंचलों के साथ जेल तक कर दिया गया है. कैदियों ने पहली खेप के रूप में 7 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट तैयार किया है. आने वाले कुछ दिनों में लगभग 25 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट भी तैयार हो जाएगा. वर्मी कंपोस्ट को जेल प्रशासन की ओर से ही खरीदकर जेल के भीतर बाड़ी विकास के तहत बनाई जा रही पोषण वाटिकाओं में उपयोग किया जाएगा. 

 

पहले चरण में 40-40 कैदियों ने वर्मी कंपोस्ट का किया निर्माण

 

जिला प्रशासन ने जेल के भीतर कैदियों को स्वरोजगार से जोड़ते हुए वर्मी कंपोस्ट निर्माण, मशरूम उत्पादन करवाया जा रहा है. इसके पहले चरण में 40-40 कैदियों ने जेल परिसर में बने टैंक में वर्मी कंपोस्ट का निर्माण किया है. साथ ही पोषण वाटिका में सब्जियों के खेती की जा रही है. इसकी शुरुआत में मिट्टी का पटाव कर प्रारंभिक तैयारियां पूरी कर ली गई है. कैदियों को वर्मी कंपोस्ट का प्रशिक्षण नगर पालिका परिषद और पोषण बाड़ी का प्रशिक्षण उद्यानिकी विभाग के अधिकारी दे रहे हैं. इसके अलावा क्रेडा 6 लाख 30 हजार रुपये का बायो गैस लगाने की तैयारी कर रही है, जिसका उपयोग खाना बनाने में किया जाएगा.

 

'अच्छा इंसान बनने में मिलती है मदद'

 

वहीं नगर पालिका परिषद बलौदाबाजार ने जेल के चारों तरफ ब्लॉक प्लांनटेंशन का भी काम कर रहा है. बचे जमीन पर फलदार पेड़ लगाएं जाएंगे. परिसर के बाहर खाली पड़ी जमीन पर पशु पालन विभाग की तरफ से चारागाह विस्तार के लिए नेपियर घास लगाने की तैयारी की जा रही है. इन सभी कामों में सुरक्षा व्यवस्था पर भी पूरी तरह नजर रखी गई है. सहायक जेल अधीक्षक अभिषेक मिश्रा ने बताया कि गोधन न्याय योजना के तहत जेल में काम किया जा रहा है. इसके अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं. मनोचिकित्सक डॉ. राकेश प्रेमी का कहना है कि कैदियों को ऐसे प्रशिक्षण और कार्याें में लगाने से उनके व्यवहार में सकारात्मक सुधार होता है. उन्हें डिप्रेशन से बचाव होने के साथ अच्छा इंसान बनने में मदद मिलती है.

 

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