Sukma News: सुकमा जिले में पुलिस की घोर लापरवाही का मामला सामने आया है. जांच अधिकारी की चूक के कारण एक निर्दोष ग्रामीण को 9 महीने जेल में सजा काटनी पड़ी और हकीकत सामने आने के बाद कोर्ट ने निर्दोष ग्रामीण को बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया. 9 महीने जेल की सजा के दौरान निर्दोष ग्रामीण के परिजनों को आर्थिक तंगी और मानसिक प्रताड़ना से गुजारना पड़ा. बिना जांच पड़ताल किए एक निर्दोष ग्रामीण को गिरफ्तार कर जेल भेजने के मामले को नक्सल कोर्ट ने गंभीर माना है. अपर सत्र न्यायाधीश ने सुकमा एसपी से जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है. 


नक्सली समर्थक बताकर पुलिस ने निर्दोष को भेजा जेल


मामला नक्सल प्रभावित क्षेत्र मिनपा गांव का है. पुलिस ने 2 जुलाई 2021 को 42 वर्षीय पोड़ियामी भीमा को नक्सली समर्थक बताकर घर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. ग्रामीण पोड़ियामी भीमा  पुलिस को चीख चीख कर खुद को निर्दोष बताता रहा और नक्सलियों से कोई कनेक्शन नहीं होने की बात कही. बावजूद इसके ग्रामीण के घर पहुंचे सीआरपीएफ और जिला पुलिस बल के जवान साथ ले गए और दंतेवाड़ा कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.


मामले का खुलासा तब हुआ जब असली पोड़ियामी भीमा 3 मार्च 2022 को कोर्ट के सामने खुद मौजूद होकर अपनी जमानत कराने आया. अपर सत्र न्यायाधीश कमलेश कुमार जुर्री ने न्यायालय के समक्ष सरेंडर आरोपी पोड़ियामी भीमा की गिरफ्तारी का मिलान कर बिना वजह जेल में सजा काट रहे निर्दोष पोड़ियामी भीमा को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया. नक्सल कोर्ट के आदेश से 9 महीने बाद निर्दोष पोड़ियामी भीमा को जेल से रिहाई मिली. 


असली व्यक्ति के कोर्ट में पहुंचने से मामले का खुलासा


वकील बीचेम पोंदी ने बताया कि आदिवासी ग्रामीण शिक्षा के अभाव में कानून की जानकारी नहीं रखते हैं और इस कारण व्यक्तिगत स्वतंत्रता का बचाव नहीं कर पाते हैं. दूसरी ओर बस्तर संभाग के सभी 7 जिलों के हर एक गांव में एक नाम और एक सरनेम के एक से अधिक व्यक्ति होना सामान्य है. ऐसे में किसी अपराध में गिरफ्तार कर जेल भेजने के पहले संबधित जिले की पुलिस को बारीकी से जांच करनी चाहिए और तस्दीक करने के बाद गिरफ्तारी होनी चाहिए. वकील ने कहा कि जांच अधिकारी की लापरवाही का नतीजा था कि पोड़ियामी भीमा को लगभग 9 महीने तक निर्दोष होकर भी जेल में रहना पड़ा. मामले में सुकमा पुलिस की घोर लापरवाही उजागर होती है.


9 महीने तक परिवार को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा


मिनपा गांव निवासी निर्दोष पोड़ियामी भीमा को पुलिस की एक छोटी सी चूक के कारण 9 महीने जेल की सजा काटनी पड़ी. गिरफ्तारी ने पीड़ित के परिवार को आर्थिक और मानसिक रूप से कमजोर कर दिया. पोड़ियामी भीमा वनोपज और खेती-बाड़ी कर परिवार का पालन पोषण करता है. घर में पत्नी के बीमार होने की वजह से दोनों बच्चों की देखरेख जिम्मेदारी भी उसी की है. 2 जुलाई साल 2021 को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस को चीख चीख कर बताने के बावजूद भी जवानों ने एक ना सुनी.


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उसने कई बार नक्सलियों से कनेक्शन नहीं होने की गुहार लगाई, लेकिन पुलिस जबरदस्ती उठाकर ले गयी और न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. असली पोड़ियामी भीमा के दंतेवाड़ा कोर्ट में सरेंडर करने पर मामले का खुलासा हुआ. बहरहाल, पीड़ित को 9 महीने बाद जमानत पर रिहा करने का कोर्ट ने आदेश दिया. सुकमा ASP ओम चंदेल का कहना है कि मामले की विधिवत जांच कराई जा रही है और जांच के बाद कार्यवाही भी की जाएगी. हालांकि उन्होंने कहा है कि अब तक सुकमा पुलिस को न्यायालय से कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है.


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