Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh election) के पहले राज्य के 40 हजार स्वास्थ्यकर्मी (Health workers strike) अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए है. अपनी 5 सूत्रीय मांगों के लिए सरकार (Government) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसके चलते राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों (Hospital) में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से प्रभावित हो रही है. लेकिन कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े हुए है और रायपुर (Raipur) के तूता धरना स्थल में हजारों की संख्या में कर्मचारी सरकार से आर पार की लड़ाई के लिए नारेबाजी कर रहे है. उन्होंने सरकार को मांग पूरा नहीं करने की स्थिति में चुनाव में बड़ा डैमेज करने की भी चेतावनी दी है. 


छत्तीसगढ़ के 40 हजार स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर बैठे
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने वेतन बढ़ाने और कोरोना भत्ता जैसे मांगों के लिए 21 अगस्त से प्रदेश भर के कर्मचारी हड़ताल पर है. कर्मचारियों ने अपने सीनियर अधिकारी और डॉक्टरों का फोन उठाना, विभागीय व्हाट्सएप ग्रुप तक से खुद को अलग कर लिया है. स्वास्थ्य विभाग के सरकारी कर्मचारियों ने सरकार पर अनदेखी करने का आरोप लगाया है. इस अनिश्चितकालीन हड़ताल में शामिल होने के लिए बस्तर से लेकर सरगुजा सभी 33 जिलों के कर्मचारी रायपुर पहुंचे है. इसके चलते गांव गांव तक सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर मेडिकल कॉलेज तक व्यवस्था बिगड़ी है.


कोई आपदा आएगी तो हम हड़ताल स्थगित कर काम में लौट जाएंगे
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन के अध्यक्ष टार्जन गुप्ता ने एबीपी न्यूज से कहा कि हमने कोरोना में 2 साल बिना छुट्टी के काम किया, हमने आपदा में अवसर बनाने नहीं दिया. जान जोखिम में डालकर काम किया है, अभी भी कोई आपदा आएगी तो हम हड़ताल स्थगित कर काम में लौट जाएंगे. इतनी मानवता हमारे पास है. लेकिन सामान्य स्थिति आने के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के नियमित कर्मचारियों को सरकार के द्वारा अनदेखी को का रही है. अनुपूरक बजट, 15 अगस्त, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिवस में अनदेखी को गई है. हमें उम्मीद था की हमारी मांगे पूरी होगी. लेकिन नहीं हुआ इसलिए आर पार की लड़ाई के लिए हम हड़ताल पर बैठे है. 


कोरोना काल में हमे भगवान का दर्जा दिया और हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश
सरकार अबतक के वार्ता को लेकर कर्मचारियों ने कहा कि 1 अगस्त को हमने सरकार को सूचना दी थी और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से भी मुलाकात की थी. इसके बाद 11 अगस्त को एक दिवसीय आंदोलन किया. अब 21 अगस्त ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. इसके बाद भी अभी तक सरकार को तरफ से कोई वैधानिक चर्चा नहीं की गई है. इससे छत्तीसगढ़ के सभी स्वास्थ्य कर्मचारी आक्रोश में है. ये शर्म का विषय है की सरकार स्वास्थ्य विभाग को इग्नोर कर रही है. जब हम कोरोना काल में वैक्सीनेशन कर रहे थे तो इन्होंने फूलों को वर्षा कराई. हमें भगवान का दर्जा दिया आज भगवान रोड पर बैठा है तो उस भगवान का कितना अपमान हो रहा है.


मांगे पूरी नहीं हुई तो फेडरेशन के साथ हमारा परिवार वोट नहीं देगा
हजारों कर्मचारियों की भीड़ से जब एबीपी न्यूज ने बात किया तो उन्होंने बताया कि गर्भवती जांच से लेकर टीकाकरण इसके अलावा हम राष्ट्रीय योजनाओं पर भी काम करते हैं. इस दौरान हिंसात्मक घटना होता है. हमें एक आया बाई और चौकीदार चाहिए. सरकार सभी की मांग पूरी कर रहे है तो हमे भी उम्मीद है हमारी मांग पूरी करेंगे. इसके आगे कर्मचारियों ने सरकार चेतावनी देते हुए कहा कि मांग पूरी होगी तभी हमारा पूरा फेडरेशन वोट देगा नहीं तो हमारा परिवार और जितने भी लोग हमसे जुड़े हुए है हम वोट नहीं देंगे. कुछ और कर्मचारियों ने ये कहा कांग्रेस और भाजपा दोनों पर भरोसा नहीं है. लेकिन एक उम्मीद है. जितना काम लेते है उतना सम्मान नहीं मिलता था. 12 महीना, 7 दिन ,24 घंटा काम कराया जाता है. लेकिन नर्सिंग अलाउंस नहीं मिलता है. 


प्रदेश के 12 स्वास्थ्य संगठन के कर्मचारी हड़ताल पर
गौरतलब है की छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन ने सरकार सामने अपनी 5 सूत्रीय मांग रखी है. इसमें स्वास्थ्य विभाग के एएनएम-एमपीडब्ल्यू, नर्सिंग संवर्ग कर्मचारियों की वेतन विसंगति, चिकित्सकों के लंबित वेतनमान, भत्ते और स्टाइपेंड, कोरोना भत्ता, हॉस्पिटल में हो रहे नर्सिंग स्टाफ के साथ हिंसा. इन मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ 12 संगठन ने एक प्रदेश स्तरीय संगठन छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन बनाया है. इसमें छत्तीसगढ़ के 5 हजार 200 उप स्वास्थ्य केंद्र, 600 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 150 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 33 जिला अस्पताल और सभी मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी शामिल है.


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