छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने आज बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि आदिवासी समाज को आरक्षण का लाभ नहीं दिला पाएंगे तो राजनीति से संन्यास ले लेंगे. छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण कटौती पर सियासी घमासान मचा हुआ है. भानुप्रतापपुर में बुधवार को कवासी लखमा को विरोध का सामना करना पड़ा था. रायपुर में गुरुवार को मंत्री कवासी लखमा ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने आदिवासियों को लाभ नहीं दिला पाने पर राजनीति से सन्यास लेने की बात कह दी है. 

मंत्री कवासी लखमा का बड़ा बयान 

आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने रायपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हमारी सरकार, मेरे मुख्यमंत्री लगातार आदिवासी भाई लोग के साथ बैठके कर रहे हैं, लगातार सुझाव लिए जा रहे हैं. उन्हीं के सुझाव के बाद कर्नाटक और तमिलनाडु गए. उन्हीं की मांग थी कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए तो 1 और 2 दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. सत्र में कानून बनाएंगे और पास करवाएंगे. आगे लखमा से पत्रकारों ने पूछा कि आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिला पाए तो क्या करेंगे? इस सवाल पर कवासी लखमा ने कहा कि राज्यपाल से राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे. अगर उस समय तक सफलता नहीं मिला तो मैं राजनीति से अपने आप को अलग करूंगा.

पूर्व सीएम रमन सिंह ने साधा निशाना

इस मामले में सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी सोशल मीडिया में कवासी लखमा पर निशाना साध रही है. तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन ने पलटवार किया है. रमन सिंह ने रायपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उनके बयान को कोई गंभीरता से लेता नहीं है. कब कौनसा बयान देंगे और कब पलट जाएंगे? उनके बयान को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. 

कल हुआ था भानुप्रतापपुर में विरोध

गौरतलब है कि अगले महीने बस्तर के आदिवासी सीट भानुप्रतापपुर में विधानसभा उपचुनाव है. इसमें प्रचार करने के लिए बस्तर के दादी यानी कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा भी कांग्रेसी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार के लिए पहुंचे थे. लेकिन उनको आदिवासियों के नाराजगी का सामना करना पड़ा. इस दौरान बड़ी मुश्किल से कवासी लखमा और कांग्रेस के प्रत्याशी सावित्री मंडावी ने लोगों को मनाया.

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