Deputy Vijay Sharma In Bastar: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद के मुद्दे पर प्रदेश के गृह मंत्री और डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने बड़ा बयान दिया है, गृहमंत्री ने कहा कि बातचीत से अगर बस्तर के युवा जो भटक कर नक्सली बन गए है और वे मुख्यधारा में लौटना चाहते है तो मैं बातचीत करने के लिए तैयार हूं. गृहमंत्री ने कहा कि मैंने इससे पहले भी बयान दिया है कि बस्तर के जो युवा  भ्रमित होकर भटक कर हिंसा का रास्ता अपना लिए है.  मैं उनसे  आधी रात में भी बातचीत करने के लिए तैयार हूं,  लेकिन आईईडी ब्लास्ट का दर्द भी बहुत है.


डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि अगर और कोई बात नहीं होती है तो दर्द का हिसाब जरूर लिया जाएगा. दरअसल गृहमंत्री विजय शर्मा प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ  शनिवार (6 जनवरी) को अपने एक दिवसीय प्रवास पर जगदलपुर पहुंचे और यहां संभाग स्तरीय कार्यकर्ता सम्मान समारोह मे शामिल हुए. इसी दौरान मीडिया के सवाल पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलवाद के मुद्दे पर ये बयान दिया है.


आधी रात को भी बातचीत के लिए तैयार हूं
गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद एक बड़ी समस्या है, बस्तर के कई युवा रास्ता भटक कर गलत विचारधारा अपना लिए है, अगर वह मुख्यधारा में वापस आना चाहते हैं और मां भारती के वीर सपूत बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं तो मैं बातचीत के लिए पूरी तरह से तैयार हूं, आधी रात को भी बातचीत के लिए तैयार हूं. गृहमंत्री ने कहा कि नक्सलवाद के हल के लिए बातें कभी बंद नहीं होगी हम सदैव बात करने के लिए तैयार है, हमारी सरकार जो संविधान के आधार पर चलने वाली सरकार है, वह बातचीत के लिए बिल्कुल तैयार है, परंतु दर्द का हिसाब जरूर लिया जाएगा.


बस्तर में शांति बहाली की होगी पूरी कोशिश
वही गृहमंत्री विजय शर्मा  ने बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने के सवाल पर कहा कि छत्तीसगढ़ की बस्तर की तारीफ खुद बीजेपी के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर भी कर चुके हैं और इसे  प्रदेश का सबसे अच्छा पर्यटन स्थल बनाने के लिए भी उन्होंने कहा है, उनके आदेश पर जरूर पर्यटन को बढ़ावा देने के क्षेत्र में  काम किया जाएगा,  गृहमंत्री ने कहा कि नक्सलवाद की वजह से बस्तर के पर्यटन को वह पहचान नहीं मिल पाई है, इसमें सरकारे जिम्मेवार नही है. लेकिन बीजेपी सरकार की पूरी कोशिश होगी कि बस्तर में शांति बहाल हो और पर्यटन को बढ़ावा मिले, साथ ही यहां के नौजवानों को आदिवासी माताओं और बहनों को अच्छा जीवन मिल सके.


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