Bastar News: राज्य स्थापना दिवस यानी 1 नवंबर से ही पूरे प्रदेश में किसानों से धान खरीदी की शुरुआत होने वाली है, लेकिन इस बार धान की खरीद (Paddy Purchase) कैसे होगी इसको लेकर प्रदेशभर के किसान असमंजस में हैं. दरअसल पिछले 20 दिनों से अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर केंद्र प्रभारी समेत सहकारी समिति के बस्तर संभाग (Bastar Division) के लगभग 1500 कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं, कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती तब तक वह अपनी हड़ताल जारी रखेंगे. वहीं इस हड़ताल से सबसे ज्यादा किसान प्रभावित हो रहे हैं. 


दरअसल 1 नवंबर से ही किसान अपने धान को बेचने के लिए खरीदी केंद्रों तक पहुंचते हैं, लेकिन केंद्र प्रभारी समेत सहकारी समिति के सभी सदस्यों के हड़ताल पर जाने से सभी केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. यदि कल भी यही स्थिति रही तो किसानों को धान को बिना बेचे ही वापस लौटना पड़ सकता है. कर्मचारियों की हड़ताल के मद्देनजर राज्य सरकार ने इन केंद्रों में धान करीद की  वैकल्पिक व्यवस्था करने की बात जरूर कही है, लेकिन ऑपरेटरों से लेकर समिति के सभी सदस्यों के हड़ताल पर होने से यह व्यवस्था कैसे होगी यह किसानों को समझ नहीं आ रहा है.


1 नवंबर से धान बेचने केंद्रों में पहुंचेंगे किसान
बता दें कि गत वर्ष धान खरीदी की शुरुआत में लेटलतीफी बरतने के चलते और करीब 1 महीने बाद खरीदी शुरु करने को लेकर  विपक्ष ने जमकर हंगामा मचाया था. बीजेपी के हंगामे को देखते हुए इस साल समय पर यानी 1 नवंबर से धान खरीदी  शुरू हो रही है, लेकिन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से इस बार धान खरीदी प्रभावित होने की पूरी संभावना बनी हुई है.


बस्तर संभाग के सातों जिलों के किसान पहले ही बारिश की वजह से काफी मुसीबतों का सामना कर चुके हैं, ऐसे में धान कटाई कर 1 नवंबर से ही अपने धान को बेचने के लिए खरीदी केंद्रों में पहुंचने की तैयारी किसान कर रहे हैं, लेकिन संभाग के लगभग 1500 कर्मचारियों के हड़ताल पर बैठ जाने से ना ही किसानों की धान खरीद केंद्रों में एंट्री हो सकती है और ना ही उनके धान बिक सकते हैं.


 इन केंद्रों के सबसे प्रमुख कर्मचारी, केंद्र प्रभारी से लेकर सहकारी समिति  (Cooperative society) के सभी सदस्य बस्तर संभाग मुख्यालय के जगदलपुर में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं. कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने 10 अक्टूबर को सरकार को ज्ञापन देकर मांग पूरी करने को कहा था, लेकिन मांग पूरी नहीं हुई. फिर 21 अक्टूबर को सरकार को एक और पत्र लिखकर 26 अक्टूबर तक मांग पूरी करने को कहा गया उसके बाद भी सरकार ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की और अब तब तक मांगे पूरी नहीं हो जाती वे अपनी हड़ताल खत्म नहीं करेंगे.


इन  5 सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर कर्माचारी


कर्मचारियों की मांग है कि बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए 30 रुपये प्रति क्विंटल कमीशन को 50 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए. इसके अलावा समिति कर्मचारियों को नियमित वेतन भुगतान हेतु प्रबंध के अनुदान का प्रावधान किया जाए. इसके अलावा बैंक भर्ती प्रक्रिया में समिति प्रबंधक लिपिक और कंप्यूटर ऑपरेटर और अन्य बैंक कर्मचारी व समिति में कार्यरत कर्मचारियों को पदोन्नत कर भर्ती प्रक्रिया का प्रावधान किया जाए.  


इसके अलावा खरीदी केंद्रों में धान जाम ना हो इसके लिये 72 घंटों के भीतर धान का उठाव किया जाए चूंकी केंद्रों में धान रखे-रखे सूख जाता है और  सूखे धान की भरपाई भी उन्हें अपने जेब से करनी पड़ती है. इन्हीं मांगों को लेकर कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं.


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