Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ (Raigarh) जिले का खरसिया विधानसभा क्षेत्र (Kharsia Assembly Seat) राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस (Congress) का ऐसा मजबूत किला है, जहां से पार्टी कभी भी नहीं हारी है. वर्ष 1977 में अस्तित्व में आई इस सीट से अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह (Arjun Singh) और पूर्व गृहमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे नंद कुमार पटेल (Nand Kumar Patel) विधायक रहे हैं. 

खरसिया विधानसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक यहां उपचुनाव सहित 11 चुनाव हुए हैं, लेकिन बीजेपी को इस सीट पर कभी सफलता नहीं मिली. यह सीट 1988 में तब सुर्खियों में आई, जब कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने खरसिया (अब छत्तीसगढ़ में) से जीत हासिल की थी. इस उप-चुनाव को छोड़कर खरसिया सीट का प्रतिनिधित्व हमेशा अघरिया पटेल (ओबीसी) समुदाय के नेता द्वारा किया गया है. इस विधानसभा क्षेत्र में अघरिया पटेल समुदाय की आबादी लगभग 25 प्रतिशत है.

शिक्षा मंत्री हैं यहां के विधायकखरसिया विधानसभा सीट से वर्तमान में राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल विधायक हैं. पार्टी ने उन्हें फिर से इस विधानसभा चुनाव में यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने यहां से इस बार महेश साहू को अपना उम्मीदवार बनाया है. साहू राज्य के प्रमुख तेली (ओबीसी) समुदाय से आते हैं. नब्बे सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए सात और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा.

बीजेपी के लिए जीतना नहीं आसानराजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के इस गढ़ को जीतना बीजेपी के लिए उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि दिलीप सिंह जूदेव और लखीराम अग्रवाल जैसे पार्टी के दिग्गज नेता भी इस सीट को नहीं जीत सके थे. अविभाजित मध्यप्रदेश में 1977 में रायगढ़ जिले के अंतर्गत खरसिया सीट बना. इस क्षेत्र में रायगढ़ और धरमजयगढ़ क्षेत्र के भी कुछ हिस्से शामिल थे. वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ. जनता पार्टी की 1977 में लहर होने के बावजूद कांग्रेस के लक्ष्मी प्रसाद पटेल ने इस सीट को जीत लिया था. इसके बाद 1980 और 1985 के विधानसभा चुनावों में भी पटेल ने जीत हासिल की थी.

जब अर्जुन सिंह के लिए खाली हुई यह सीटजब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह 1988 में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर मध्यप्रदेश की राजनीति में लौटे, तब लक्ष्मी प्रसाद पटेल ने अर्जुन सिंह के लिए अपनी सीट खाली कर दी. खरसिया उस समय एक पिछड़ा क्षेत्र था और कांग्रेस की परंपरागत सीट होने की वजह से यह सीट सिंह के लिए एक सुरक्षित सीट मानी गई. इस उपचुनाव में सिंह ने बीजेपी के दिलीप सिंह जूदेव को 8,658 मतों के अंतर से हराया था.

1990 में नंद पटेल को मिला था टिकटचुनाव विश्लेषक आर कृष्ण दास ने कहा, ''जूदेव ने उपचुनाव में सिंह को कड़ी टक्कर दी और कम अंतर से हार गए. 1985 में कांग्रेस उम्मीदवार लक्ष्मी प्रसाद पटेल ने इस सीट से 21,279 मतों से जीत हासिल की थी.'' दास ने कहा, ''ऐसा कहा जाता है कि जूदेव को नंदेली और उसके आसपास के गांवों को छोड़कर निर्वाचन क्षेत्र के अन्य गांवों से अच्छा समर्थन मिला था. यही कारण था कि अर्जुन सिंह ने 1990 के विधानसभा चुनाव में खरसिया से नंद कुमार पटेल को टिकट दिया, जो उस समय नंदेली गांव के सरपंच थे.''

लगातार पांच पर जीते थे नंद पटेलनंद कुमार पटेल ने इस सीट से पांच बार 1990, 1993, 1998, 2003 और 2008 में जीत हासिल की तथा मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों में गृह मंत्री के रूप में कार्य किया. वर्ष 1990 में उन्होंने खरसिया क्षेत्र के ही निवासी और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कद्दावर नेता लखी राम अग्रवाल को हराया था.

नंद पटेल के बेटे उमेश पटेल जीते दो बार चुनावमई 2013 में, बस्तर जिले की झीरम घाटी में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों के हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और उनके बड़े बेटे की मौत हो गई थी. पटेल के निधन के बाद कांग्रेस ने इस सीट से उनके छोटे बेटे उमेश पटेल को मैदान में उतारा. उमेश पटेल 2013 और 2018 में दो बार इस सीट से चुनाव जीते हैं.

बीजेपी के इस नेता को पटेल ने दी थी मातसाल 2018 में कांग्रेस की जीत के बाद उन्हें भूपेश बघेल मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. उमेश पटेल को पार्टी ने एक बार फिर खरसिया से टिकट दिया है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उमेश पटेल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ओपी चौधरी को हराया था. अघरिया समुदाय से आने वाले चौधरी को इस बार बीजेपी ने पास की ही रायगढ़ सीट से चुनाव मैदान में उतारा है.

जान लें, क्या है यहां का जाति समीकरण?खरसिया सीट के 2,15,223 मतदाताओं में से लगभग 88 प्रतिशत मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और सीट की लगभग 40 प्रतिशत आबादी ओबीसी है. दास ने कहा कि बीजेपी ने पहली बार साहू समाज से उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, जो निर्वाचन क्षेत्र की आबादी का लगभग 15 प्रतिशत है. पार्टी लगातार इस सीट से 11 बार हार चुकी है. उन्होंने कहा कि इस सीट पर किसी उम्मीदवार की हार-जीत में अघरिया पटेल समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. उन्होंने कहा, ''बीजेपी की नजर इस बार अनुसूचित जाति समुदाय के मतों पर है, जो निर्वाचन क्षेत्र की लगभग 26 प्रतिशत आबादी है.''

दास ने कहा कि उमेश पटेल अपनी सरकार के विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं के दम पर अपने परिवार की विरासत को जारी रखने में सफल होंगे या बीजेपी, कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने में सफल होगी यह तीन दिसंबर (जब वोटों की गिनती होगी) को पता चलेगा. खरसिया उन 70 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है, जहां 17 नवंबर को दूसरे चरण में मतदान होगा.

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