छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मंगलवार (4 नवंबर) को हुए ट्रेन हादसे में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही करीब 20 लोग घायल हैं. रेलवे ट्रेक को 14 घण्टे की मशक्कत के बाद फिर से शुरू कर दिया गया. इस हादसे के बाद हुई मौतों के बाद अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. बिलासपुर के लालखदान इलाके में हुई कोरबा गोंदिया मेमू ट्रेन की भक्षण टक्कर के बाद सबके जहन में सिर्फ एक ही सवाल है. आखिर इस भीषण दुर्घटना का जिम्मेदार कौन है. ये जानने के लिए एबीपी न्यूज की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची. 

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रेलवे और स्थानीय प्रशासन ने ट्रेक को किया शुरू 

रेलवे और स्थानीय प्रशासन के अमले ने 14 घण्टे की मशक्कत के बाद ट्रेक को एक बार फिर से शुरू कर दिया. घटना स्थल से छतिग्रस्त बोगी को भी सुबह 4 बजे हटाया जा सका. बोगी की हालत देख कर ये अंदाज लगाना मुश्किल नही है कि दोनों ट्रेनों की भिड़ंत कितनी जबरदस्त रही होगी.

इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 20 लोग अभी भी अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं. वहीं हादसे की वजह आखिर क्या थी, ये रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी हादसे के 24 घण्टे से ज्यादा बीतने के बाद भी बता नही पा रहे हैं. हालांकि, बिलासपुर रेलवे जोन के जनरल मैनेजर तरुण प्रकाश ने पूरी दुर्घटना के CRS जांच की बात कही. वो भी 6 नवंबर से शुरू की जाएगी.

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इस शख्स को माना जा रहा है हादसे का जिम्मेदार

दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ सरकार के डिप्टी सीएम हादसे में घायलों को देखने बिलासपुर पहुंचे. हादसे पर अधिकारियों द्वारा जांच की बात जरूर कही जा रही हैं, लेकिन रेलवे के अंदरखाने से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक इस मामले में प्राथमिक तौर पर मेमू ट्रैन के लोको पायलट को ही जिम्मेदार माना जा रहा है. 

कोरबा मेमू ट्रेन के लोको पायलट विद्यासागर थे, जिनकी इस हादसे में दुखद मौत हो गई. एबीपी न्यूज की टीम उनके घर पहुंची. घर के अकेले कमाने वाले विद्यासागर की तीन बेटियां और पत्नी अपना सुधबुध खो चुकी है. रिस्तेदारो के आने का इंतजार है, जिसके बाद विद्यासागर का अंतिम संस्कार गुरुवार (6 नवंबर) को किया जाएगा. लोको पायलट विद्यासागर के साथी लोको पायलट के मुताबिक विद्यासागर पिछले 35 सालों से ट्रेन चला रहे थे, और पूरी तरह से फिट थे.

हादसे की ये सबसे बड़ी वजह सामने आई 

एबीपी न्यूज की टीम ने घटना स्थल का मुआयना किया. लोगों से बात की तो पता चला कि हादसे की सबसे बड़ी वजह ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम का फैलियर हो सकता है. जिस तरह से पूरी दुर्घटना हुई वो तो इसी तरफ इशारा कर रही है. जानकारी के मुताबिक दुर्घटना के पहले भी कई बार इसी सेक्शन में ऑटोमैटिक सिंग्नल सिस्टम के गड़बड़ी की शिकायतें मिलती रही हैं. लेकिन तब रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर ध्यान नही दिया.

इस हादसे में एक ऐसा मासूम भी है जिसने अपना सब कुछ खो दिया है. ये मासूम सवा साल का ऋषि यादव है. मासूम ऋषि भी मौत की उस मेमू ट्रेन में अपने माता पिता और नानी के साथ सवार था. हादसे में ऋषि ने अपने पिता अर्जुन यादव, मां शिला यादव और नानी को हमेशा के लिए खो दिया.

ऋषि खुद अपोलो अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है. अपनों के नाम पर ऋषि के पास एक बुआ और बूढ़ी दादी ही बची है. अब ऋषि का परिवार सरकार से उसकी परवरिश का जिम्मा उठाने की गुहार लगा रहा है.