Bastar: छत्तीसगढ़ के बस्तर में रेल सुविधाओं (Rail Facilities) के विस्तार की मांग लंबे समय से बस्तर वासियों (Bastar Residents) के द्वारा की जा रही है. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 21 साल बाद भी आज भी बस्तर रेल मार्ग से बड़े महानगरों और यहां तक कि राजधानी रायपुर (Raipur) तक सीधे नहीं जुड़ सका है. पिछले 20 सालों से जगदलपुर से रायपुर तक रेल मार्ग के निर्माण के लिए सर्वे का काम किया जा रहा है, लेकिन अब तक जगदलपुर से रायपुर तक रेलमार्ग नहीं बन पाया है.

हालांकि बस्तर वासियों की लगातार मांग के बाद रायपुर से अंतागढ़  तक करीब 100 किलोमीटर का रेल मार्ग तो बन गया है, लेकिन अंतागढ़ से जगदलपुर तक लगभग 142 किलोमीटर का रेल मार्ग निर्माण का कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है. जिसको लेकर अब बस्तरवासियों की नाराजगी  देखने को मिल रही है और अब बस्तरवासियों ने इस रेल मार्ग के निर्माण के लिए आंदोलन का मन बना लिया है,जिसके तहत  बस्तरवासी अंतागढ़ से  जगदलपुर तक लगभग 142 कि.मी तक पदयात्रा कर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

मांगों को किया जा रहा अनदेखाबस्तर के सर्वजन मंच के सदस्यों का कहना है कि दल्ली राजहरा से जगदलपुर तक रेल लाइन निर्माण को लेकर 1972 से प्रयास चल रहा है, लेकिन आज तक यह  पूरा नहीं हो पाया है, केंद्र सरकार ने रायपुर से दल्ली राजहरा तक रेल लाइन तो बिछा दिया है और इसमें बकायदा मालगाड़ी भी चल रही है, साथ ही दल्ली राजहरा से अंतागढ़ तक  भी धीमी गति से रेल लाइन बिछाया गया, लेकिन अंतागढ़ से जगदलपुर तक सर्वे होने के बावजूद भी अब तक रेल लाइन बिछाने का काम शुरू नहीं हो सका है. सर्व जनमंच के सदस्यों का कहना है कि जगदलपुर से राजधानी रायपुर जाने के लिए यात्री बस मात्र एक साधन है.

हालांकि जगदलपुर से रायपुर तक घरेलू विमान की भी शुरुआत की गई है, लेकिन इस विमान में बस्तर के हर वर्ग के लोगो के द्वारा   राजधानी रायपुर तक जाना संभव नहीं है, ऐसे में रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए लगातार बस्तरवासी राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार से भी मांग करते आ रहे हैं ,लेकिन उनकी मांगों को पिछले कई सालों से अनदेखा किया जा रहा है.

बड़ी संख्या में बस्तरवासी होंगे शामिलसर्वजन मंच के सदस्यों का कहना है कि इस मांग को लेकर कोई सुनवाई न होता देख आगामी दिनों में सर्वजन मंच के सदस्यों  और बस्तरवासी अंतागढ़ से जगदलपुर तक लगभग 142 किलोमीटर तक पदयात्रा करेंगे. और अपनी मांगों को लेकर संभाग स्तरीय अफसरों के अलावा, रेलवे जोन, मंडल और बोर्ड सहित, रेल मंत्री तक को भी ज्ञापन सौंपी  जाएगी.. सदस्यों का कहना है कि यह आंदोलन गांधीवादी तरीके से चलाया जाएगा और इसके बाद भी यदि मांगों की ओर ध्यान न दिया गया तो आंदोलन को विस्तार दिया जाएगा.

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