Nava Khani Festival: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) जिले में 30 अगस्त तीज त्यौहार से 9 सितंबर तक मनाए जाने वाले नवा खानी (Nava Khani) त्यौहार को लेकर तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है. जिले के गांव-गांव में नवा खानी मनाया जाता है और यह परंपरा सदियों से चलती आ रही है. दरअसल ग्रामीण नए अनाज को भगवान को भोग लगाकर पूरे गांव में नवा खानी का त्यौहार मनाते हैं. यह बिल्कुल दिवाली पर्व की तरह मनाया जाता है. जिले के घाट कवाली में भी 6 सितंबर को गांव में नवा खानी का त्यौहार मनाया जाना है. इसको लेकर घाट कव्वाली के आदिवासी ग्रामीण एक अनूठी परंपरा निभाते आ रहे हैं. इसमें जलदेवी को सोने की छोटी नाव और चांदी की पतवार भेंट कर नवाखानी त्यौहार मनाने से पहले उनसे अनुमति मांगी जाती है.


11 दिनों तक यह त्यौहार मनाया जाता है


दरअसल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में हर गांव में 30 अगस्त से 9 सितंबर तक 11 दिनों तक नवा खानी का त्यौहार मनाया जाता है. नवाखानी का त्यौहार आदिवासी दिवाली पर्व की तरह धूमधाम से मनाते हैं. इस नवाखानी के त्यौहार में नए धान, नये चावल से पकवान बनाए जाते हैं. साथ ही खीर बनाकर गांव के देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है और पालतू मवेशियों की पूजा अर्चना भी की जाती है. इस त्यौहार के दौरान कई अनोखी रस्मों को भी निभाई जाती है.


सोने की नाव और चांदी की पतवार चढ़ाने की है परंपरा


जगदलपुर शहर से 20 किमी. दूर बस्तर विधानसभा क्षेत्र के घाटकवाली गांव में इंद्रावती नदी किनारे नावघाट में परम्परा अनुसार हर साल यह त्यौहार मनाने से पहले जलनी माता से इसे मनाने की अनुमति मांगी जाती है. गांव के ग्रामीण और ग्राम पुजारी मंगतू राम कश्यप के द्वारा गांव की जिमेदारिन जलनी (जलदेवी) माता की छत्र को लेकर इंद्रावती नदी के किनारे नावघाट में सभी ग्रामवासी इक्कठे हुए. गांव के पुजारी के द्वारा गांव की जिमेदारिन जलनी माता की छत्र की सेवा अर्जी की गई. उन्हें सोने का नाव और चांदी का पतवार, साटका धान की बाली, लाई चना, लांदा, गुड़, चिवड़ा, अंडा चढ़ाया गया.


साथ ही सफेद बकरा, चोका मुर्गा, चोकी मुर्गी की बली देकर नवा खानी त्यौहार मनाने के लिए अनुमति मांगी गई. इंद्रावती नदी में सोने की नाव और चांदी की पतवार को प्रवाहित भी किया गया. आने वाले 6 सितंबर को गांव में नवा खानी त्यौहार मनाने की अनुमति मिली. इस मौके पर  करंजी, भाटपाल, चोकर, कुड़कानार गांव के ग्रामीण भी शामिल रहे. गांव के पूर्व सरपंच सुकरु राम कश्यप ने बताया कि नवाखानी त्यौहार मनाने से पहले अनुमति मांगने की परंपरा पुरखों से चली आ रही है. उन्होंने कहा कि आज भी गांव के सभी लोग मिलकर इस नावघाट जात्रा को पारंपरिक रूप से मनाते हैं. इसके बाद अब गांव में 6 सितम्बर को मनाए जाने वाले नवाखानी त्यौहार की तैयारी की जाएगी.


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