पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दो प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिहार से बाहर रहने वाले जो लोग वापस आना चाहते हैं वह आ जाएं. आखिर वह बार बार ऐसी अपील क्यों कर रहे हैं? क्या बिहार में लॉकडाउन लगाने की तैयारी कर रहे हैं? एक साल पहले बिहार के लोगों के पलायन की तस्वीर सबको याद है. इस बार दो प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उन्होंने लोगों को बिहार आने की बात तब इसपर एबीपी की टीम ने इस बारे में कुछ नेताओं से बात की.


इसपर जेडीयू नेता अजय आलोक ने कहा कि मुख्यमंत्री ने ये कहा है कि जो भी वापस लौटना चाहते हैं वो जल्द वापस लौट आएं. ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि वो सबको वापस बुलाना चाहते हैं. जो लोग अपने काम-काज, रोजी-रोटी के चक्कर में गए हैं और जिनमें यह डर बना हुआ है कि कहीं यहां लॉकडाउन ना लग जाए. हर जगह की सरकार काम कर रही है पर जिनको भी डर है उनसे अनुरोध किया गया है कि वो जल्द वापस आ जाएं. इसमे लॉकडाउन की कोई बात नहीं है.


बिहार के लोग सजग, एक सप्ताह में दिखेगा असर


अजय आलोक ने कहा कि हमारा ग्रामीण विकास विभाग इस कार्य में लगा हुआ है कि जो भी लौट रहे हैं उनको यहीं (बिहार) रोजगार की व्यवस्था हो सके ताकि वो यहां बेरोजगार होकर ना रहें और उनका ख्याल रखना भी सरकार का काम है. जो भी होना था उसकी घोषणा हो गई है जो भी पाबंदी लगाई जानी थी लग गई है. बिहार में लोग सजग भी हैं और उम्मीद करते हैं की एक सप्ताह के अंदर ही हम संक्रमण के इस चेन को तोड़ देंगे. 


नाइट कर्फ्यू का बिहार में नहीं है कोई मतलब


इधर, राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सरकार के नाइट कर्फ्यू पर सरकार के सहयोगी ही सवाल खड़े कर रहे हैं कि बिहार जैसे प्रदेश में नाइट कर्फ्यू का कोई मतलब नहीं. हमारे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने साप्ताहिक लॉकडाउन की बात कही थी पर नेता प्रतिपक्ष के 30 सुझाव पर सरकार ने अमल नहीं किया. बिहार जैसे प्रांत में शाम छह बजे से सभी दुकानें लोग खुद बंद कर रहे हैं तो रात में यहां कौन निकलता है. ये महाराष्ट्र और सूरत तो है नहीं, इसलिए सरकार का ये निर्णय अजीबोगरीब है और समझ से परे है.


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