बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी बिहार में काफी सक्रिय है, जो एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती बनी हुई है. बड़ा सवाल ये है कि किसका खेल बिगड़ेगा. प्रशांत किशोर दोनों के लिए मुसीबत बने हुए हैं. इस बीच खबर है कि शुक्रवार को भोजपुरी के तीन कलाकार अवधेश मिश्रा, अरूण काका और अपर्णा मलिक भी जन सुराज परिवार से जुड़ गए हैं.

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वरिष्ठ नेता शिव कुमार भी जन सुराज से जुड़े

तीन दिन पहले ही शेखपुरा के बरबीघा निवासी वरिष्ठ नेता शिव कुमार जन सुराज पार्टी में शामिल हुए थे. शिव कुमार के साथ उनके सैकड़ों समर्थकों ने भी जन सुराज पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी. जेपी सेनानी शिव कुमार के अलावा रिटायर्ड जज ओम प्रकाश, प्रो. सच्चिदानंद यादव, अनिल सिंह, संजीत चौधरी, दिनेश शर्मा जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं जिन्होंने पार्टी की सदस्यता ली थी.

प्रशांत किशोर की पार्टी दिनों दिन अपना दायरा बढ़ाती जा रही है. यानी चुनावी बिगुल बजने से पहले ही पीके ने चुनावी बिसात बिछा चुके हैं. प्रशांत किशोर ने अपनी बिहार के तकरीबन सभी जिलों में घूम-घूमकर संगठन का जाल बिछा दिया है. अब हर कोई ये जानना चाहता है कि 'जन सुराज' किसका वोट काटेगा और किस गठबंधन को इसकी रणनीति से फायदा या नुकसान होगा?

वोटकटवा की भूमिका निभा सकते हैं प्रशांत किशोर 

बता दें कि एक सर्वेक्षणों से पता चलता है कि पीके की पार्टी वोटकटवा की भूमिका निभा सकती है, जिससे बड़े गठबंधनों के समीकरण बदल सकते हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि 2020 में जिस तरह चिराग पासवान ने सीएम नीतीश की पार्टी को नुकसान पहुंचाया, उसी तरह 2025 में पीके जेडीयू को नुकसान पहुंचा सकते हैं. हालांकि महागठबंधन भी नुकसान से अछूता नहीं रहेगा और जिस तरह प्रशांत किशोर की ताकत बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे दोनों गठबंधन की सांसें भी तेज होती जा रहीं हैं. 

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