पटना: बिहार की राजनीती में अजीबोगरीब परिस्थिति सामने आ गई है. चुनाव के तारीखों का ऐलान हो गया है. लेकिन अबतक दो बड़े गठबंधन और दोनों पशोपेश में हैं. नई पीढ़ी के दो राजनीतिक घरानों के युवराजों ने दोनों गठबंधन की गांठ को कुछ ऐसे उलझा दिया है कि गठबंधन का पूरा समीकरण ही चक्रव्यूह में फंसा नजर आ रहा है. एक तरफ एनडीए में चिराग पासवान की जिद तो दूसरी तरफ महागठबंधन में तेजस्वी की जिद ने चुनावी गणित को उलझा दिया है.
दोनों युवराजों की जिद में गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं को याद आ रहे हैं इनके पिता जी. हां कांग्रेस को याद आ रहे हैं तेजस्वी के पिता सजायाफ्ता लालू प्रसाद तो भाजपा को याद आ रहे अस्पताल में भर्ती रामविलास पासवान.
दरअसल, महागठबंधन से जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा ने तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर गठबंधन तोड़ दिया. तो सबको लगा कांग्रेस से गठबंधन अब आसान हो जाएगी. लेकिन यहां तो कांग्रेस के बिहार प्रभारी को याद आने लगी लालू प्रसाद की और उन्होंने साफ शब्दों में कह डाला लालू प्रसाद याद होते तो ऐसी समस्या नहीं आती और आज जो है समय ऐसा है कि हम लोग नहीं चाहते हैं कि गठबंधन टूटे लेकिन कुछ लोगों की वजह से ऐसा हो सकता है. इशारों में तेजस्वी को अनुभवहीन भी बता गए कांग्रेस प्रभारी.
इधर, एनडीए में भी पेंच लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने फंसाई है, नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर और अपनी मांगों पर भी अड़े हैं. सूत्रों की मानें तो चिराग ने मांगा है 45 विधानसभा की सीट, केन्द्रीय मंत्रीमंडल में जगह, दो विधान परिषद की सीट और राज्यसभा का एक कोटा. अब लोजपा को 30 से ज्यादा सीट देने को बीजेपी जदयू नहीं तैयार.
अब तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने भी माना कि रामविलास पासवान अस्वस्थ हैं, इसलिए हो रही है परेशानी अन्यथा अब तक हो गयी होती सीट शेयरिंग पर फाइनल बात. एनडीए में सभी दल को साथ लेकर चलना चाहती है भाजपा मगर दो राजनीतिक दिग्गजों की नयी पीढ़ी ने पुरानी पीढ़ी कुछ ऐसे उलझाया है कि अब इस चक्रव्यूह का हल निकल पाना मुश्किल है.