पटनाः नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को फिर एक बार पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने बिहार में बाढ़, सुखाड़ और इससे प्रभावित होकर असामयिक मृत्यु के साथ-साथ अरबों रुपयों की फसल की हो रही क्षति को बचाने के लिए जिक्र किया है. साथ ही इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मिलने के लिए भी कहा है. तेजस्वी ने कहा कि राज्यहित में प्रतिवर्ष बाढ़ की विभीषिका के कारण होने वाले नुकसान एवं नदी जोड़ने की योजना के महत्व के संदर्भ में एक सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल बनाएं और प्रधानमंत्री से मिलकर इन मांगों को रखें.

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तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार का सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, खगड़िया, सारण, समस्तीपुर, सीवान, मधुबनी, मधेपुरा, सहरसा, भागलपुर, कटिहार, वैशाली, पटना आदि ऐसे हैं जो प्रत्येक वर्ष बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं. इस समस्या का स्थायी और ठोस समाधान की दिशा में ईमानदार कोशिश नहीं हो रही है.

वर्ष 2011 में राज्य में रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट्स (River Linking Projects) की घोषणा की गई थी. इसमें राज्य की कई नदियों को जोड़ने के लिए अनेक योजनाओं की बात कही गई थी. केंद्र सरकार ने 2019 में मात्र एक ‘कोशी-मेची’ नदी को जोड़ने की योजना को रास्ता दिया लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस योजना का कार्यान्वयन अभी तक शुरू नहीं हुआ है. कहा कि कोशी, बागमती, गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, घाघरा, महानंदा आदि सभी बारहमासी नदियां हैं और बरसात में इन नदियों से पानी के बहाव की मात्रा अचानक अधिक हो जाती है जो प्रभावित लोगों को संभलने का मौका ही नहीं देता. राज्य में बाढ़ की विभीषिका के स्थायी समाधान के लिए इन नदियों को राज्य की अन्य नदियों जिनमें कम पानी रहता है उससे जोड़ना अति आवश्यक है.

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39 सांसद एनडीए के फिर भी विशेष दर्जा नहीं

तेजस्वी ने कहा कि वर्तमान में केंद्र और राज्य दोनों जगह एनडीए की ही सरकार है. ऐसी स्थिति में राज्य के लोगों के जान-माल से जुड़ी और राज्यहित की इन अत्यंत महत्वपूर्ण योजनाओं के कार्यान्वयन में इतनी उदासीनता समझ से परे है. 40 में से 39 एनडीए के लोकसभा सांसद होने के बावजूद राज्य को विशेष दर्जा देने की बात तो दूर अभी तक विशेष पैकेज भी नहीं मिल पाई है.

नदियों को जोड़ने, बांधों एवं नहरों को बनाने की सभी योजनाओं को केंद्र सरकार से ‘राष्ट्रीय योजना’ घोषित कराने की मांग की जाए जिससे एक तरफ तो इन योजनाओं के ससमय क्रियान्वयन के लिए निधि की शतप्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित हो सके. वहीं दूसरी तरफ राज्य के अल्प संसाधनों की उपयोगिता राज्य की अन्य विकासात्मक एवं कल्याणात्मक योजनाओं के कार्यान्वयन में हो सके.

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